फंडियों के बाप की जागीर नहीं है हिंदुस्तान|
और यह खासकर जो 35 बनाम 1 के दंगों के भुगतभोगी हैं यह अपने कन्फूजन दूर कर लें| हरयाणा में हुआ फरवरी 2016 काण्ड इतनी जल्दी भूल गए क्या कि कैसे पुलिस-फ़ौज ला अड़ाई थी 10 दिन से शांतिपूर्ण सड़कों पर बैठों पे? क्या मांग रहे थे तुम; अलग देश, अलग सविंधान, अलग धर्म या मात्र आरक्षण? और सितम्बर 2013 में कुर्बान हो कर भी देख लिया वेस्ट यूपी वालो; क्या मिला? खेतों के मजदूर छिन गए, कारीगर महँगे हो गए और बच्चे आजतक जेलों में सड़ रहे हैं वह अलग| तुम्हारी इकॉनमी की कीमत पर अपनी राजनीति से ले जंगले-बंगले चमकाने वाले लोग हैं यह|
शाहीन-बाग़ धरने को समर्थन देने पंजाब से आये सिखों को साधुवाद| खापें भी झांकें अपने इतिहास में और हो सके तो समर्थन देवें शाहीन-बाग़ जाकर| याद कीजिये 1947 के वह दंगे जब वेस्ट यूपी के खाप चौधरियों ने दो टूक खबरदार कर दिया था कि यहाँ के मुस्लिम को किसी ने छेड़ा तो हमसे बुरा कोई ना होगा| याद कीजिये किसान-राजनीति की रीढ़ है मुस्लिम समाज| सर छोटूराम से ले सरदार प्रताप सिंह कैरों, चौधरी चरण सिंह व् ताऊ देवीलाल तक की किसान-राजनीति की एक धुर्री मुस्लिम ना होते तो कभी यह किसान-हस्तियां कोई प्रधानमंत्री, कोई उप-प्रधानमंत्री नहीं बनते|
मुस्लिमों के बिना दोबारा किसान राजनीति को उसी बुलंदी तक कोई खड़ा ही करके दिखा दे, इंडिया में जिस बुंदली तक यह ऊपर गिनवाए नाम खड़े कर गए| प्रवेश वर्मा दिखा दे, अनुराग ठाकुर दिखा दे, रमेश बिधूड़ी दिखा दे, जयंत चौधरी, दीपेंदर हुड्डा, दुष्यंत चौटाला, अखिलेश यादव, मायावती जी कोई भी दिखा दे|
अपनी आँखें खोलो, को सत्ता को तोलो| सर छोटूराम कह कर गए हैं, "धर्म से खून बड़ा होता है, धर्म तो इंसान दिन में चाहे तीन बदल ले; परन्तु जो नहीं बदलता वह है कौमी खून"| धर्म-कायदे-कानून आनी-जानी चीज हैं, खून सदियों-जमानों तक वही रहता है|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
और यह खासकर जो 35 बनाम 1 के दंगों के भुगतभोगी हैं यह अपने कन्फूजन दूर कर लें| हरयाणा में हुआ फरवरी 2016 काण्ड इतनी जल्दी भूल गए क्या कि कैसे पुलिस-फ़ौज ला अड़ाई थी 10 दिन से शांतिपूर्ण सड़कों पर बैठों पे? क्या मांग रहे थे तुम; अलग देश, अलग सविंधान, अलग धर्म या मात्र आरक्षण? और सितम्बर 2013 में कुर्बान हो कर भी देख लिया वेस्ट यूपी वालो; क्या मिला? खेतों के मजदूर छिन गए, कारीगर महँगे हो गए और बच्चे आजतक जेलों में सड़ रहे हैं वह अलग| तुम्हारी इकॉनमी की कीमत पर अपनी राजनीति से ले जंगले-बंगले चमकाने वाले लोग हैं यह|
शाहीन-बाग़ धरने को समर्थन देने पंजाब से आये सिखों को साधुवाद| खापें भी झांकें अपने इतिहास में और हो सके तो समर्थन देवें शाहीन-बाग़ जाकर| याद कीजिये 1947 के वह दंगे जब वेस्ट यूपी के खाप चौधरियों ने दो टूक खबरदार कर दिया था कि यहाँ के मुस्लिम को किसी ने छेड़ा तो हमसे बुरा कोई ना होगा| याद कीजिये किसान-राजनीति की रीढ़ है मुस्लिम समाज| सर छोटूराम से ले सरदार प्रताप सिंह कैरों, चौधरी चरण सिंह व् ताऊ देवीलाल तक की किसान-राजनीति की एक धुर्री मुस्लिम ना होते तो कभी यह किसान-हस्तियां कोई प्रधानमंत्री, कोई उप-प्रधानमंत्री नहीं बनते|
मुस्लिमों के बिना दोबारा किसान राजनीति को उसी बुलंदी तक कोई खड़ा ही करके दिखा दे, इंडिया में जिस बुंदली तक यह ऊपर गिनवाए नाम खड़े कर गए| प्रवेश वर्मा दिखा दे, अनुराग ठाकुर दिखा दे, रमेश बिधूड़ी दिखा दे, जयंत चौधरी, दीपेंदर हुड्डा, दुष्यंत चौटाला, अखिलेश यादव, मायावती जी कोई भी दिखा दे|
अपनी आँखें खोलो, को सत्ता को तोलो| सर छोटूराम कह कर गए हैं, "धर्म से खून बड़ा होता है, धर्म तो इंसान दिन में चाहे तीन बदल ले; परन्तु जो नहीं बदलता वह है कौमी खून"| धर्म-कायदे-कानून आनी-जानी चीज हैं, खून सदियों-जमानों तक वही रहता है|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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