यह दूसरों द्वारा बनाई गई नाम और ब्रांड की टैगिंग व् क्रेडिट चोरी करके खाने वाले लोग हैं, इसीलिए हमेशा मंजिल की आखिरी सीढ़ी (हरयाणवी में ऊपरला पैड़ा) तक पहुँचते ही लुढ़कते हुए धड़ाम तरले पैड़े पर आ पड़ते हैं| यह किसी और चीज का नहीं अपितु उसी नियत का इनको छलावा रहता है जिसके चलते यह लोगों को छल-छल कर सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़ते जाते हैं परन्तु ऊपरले पैड़े पर चढ़ते ही वही ढाक के तीन पात| ना इनके पुरखे सुधरे ना इन्होनें सुधारना खुद को|
चोखा रांद कटी, नहीं तो इनकी जीत का जश्न 'जून 1984' व् 'फरवरी 2016' से भी क्रूर होना था| बदले की मानसिकता वाले लोग हैं यह, माफ़ करना नहीं जानते इसीलिए साफ़ हो जाते हैं खुद ही| बस इनको शिखर तक चढ़ने का मौका देना चाहिए| यह चढ़ना जानते हैं परन्तु ठहरना-जमना नहीं| शाहीन बाग़ इन्होनें इतना उछाला कि ज्यों महलों को छोड़ खुद ही चला हो "शाह-इन-बाग़" (जंगल) में बसने| अब इसके बाद इनकी ढलान ही ढलान चलेगी| मोहर हरयाणा-महाराष्ट्र ने लगा दी थी, उसपे सील आज दिल्ली ने लगा दी|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
चोखा रांद कटी, नहीं तो इनकी जीत का जश्न 'जून 1984' व् 'फरवरी 2016' से भी क्रूर होना था| बदले की मानसिकता वाले लोग हैं यह, माफ़ करना नहीं जानते इसीलिए साफ़ हो जाते हैं खुद ही| बस इनको शिखर तक चढ़ने का मौका देना चाहिए| यह चढ़ना जानते हैं परन्तु ठहरना-जमना नहीं| शाहीन बाग़ इन्होनें इतना उछाला कि ज्यों महलों को छोड़ खुद ही चला हो "शाह-इन-बाग़" (जंगल) में बसने| अब इसके बाद इनकी ढलान ही ढलान चलेगी| मोहर हरयाणा-महाराष्ट्र ने लगा दी थी, उसपे सील आज दिल्ली ने लगा दी|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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