पंजाबी फ़िल्में पहले भी बहुत देखता था, परन्तु पिछले दो-एक महीने में हर वीकेंड पे जितनी भी 8-10 फ़िल्में देखी हैं; एक खुशगवार आदत लग गई है| वह यह कि हर फिल्म में लगभग 100 के करीब या इससे भी ज्यादा ऐसे पंजाबी शब्द नोट किये जो हूबहू हरयाणवी भाषा में बोले जाते हैं परन्तु हिंदी में नहीं|
सोच रहा हूँ, आगे से हर पंजाबी फिल्म को देखते वक्त नोटपैड खोल के बैठ जाऊँ और प्रति पंजाबी फिल्म ऐसे शब्दों की लिस्ट बनाऊं| वह शब्द तक सुनने को मिलते हैं जो मेरे दादा-दादी-नाना-नानी बोलते थे और आजकल के बच्चों को सुनाओ तो या तो असल समझ ही नहीं आएंगे अन्यथा उर्दू बताएँगे या अरबी| वाकई में मेरे से पहले वाली व् मेरी हरयाणवी पीढ़ी में बहुत डाउन आया है| इस मामले में मेरे से पहले वाली पीढ़ी तो अगर बिलकुल सो गई थी कहूं और मेरे वाली को आधी सोई, आधी जगी तो अतिश्योक्ति ना होगी|
क्या हम आधी जगी, आधी सोई वाले हमारी अगली पीढ़ी को हरयाणवी भाषा को दादा-दादी-नाना-नानी वाले रूप में पास कर पाएंगे? अगर कर गए तो हमारी पीढ़ी का अति-विशेष स्थान रहना है आगे वाली पीढ़ियों में| इतना आनंद किसी हिंदी-इंग्लिश-फ्रेंच मूवी में नहीं आया जितना पंजाबी मूवीज में आ रहा है और वह भी ऊपर बताई वजह से तो डबल| इनको देखकर लगता है कि हरयाणवी अभी जिन्दा है और प्रैक्टिकल में जिन्दा है| बल्कि आजकल हिंदी फिल्मों से तो बोरियत भी होने लगी है, जबकि पंजाबी मूवी देखना शुरू करता हूँ तो बस खत्म होने पे ही पता चलता है; इतना आत्ममुग्ध हो जाता हूँ देखते-देखते|
यह एक्सरसाइज करनी शुरू करनी होगी, इससे पंजाबी-हरयाणवी और नजदीक आएंगे एक दूसरे के| आजकल कुछ फंडियों ने मुहीम चला रखी है कि हरयाणवी तो उर्दू-अरबी की उधारी बोली (भाषा भी नहीं कहते) है (पहले दुष्प्रचार करते थे कि लठमार है), और यह कह कर हरयाणवी से मोह छुड़वाया व् हिंदी (हिंदी सीखना/बोलना/लिखना कोई बुरी बात नहीं, परन्तु ऐसे दुष्प्रचारों को बारीकी से ऑब्जर्व करके समझते चलिए कि उनका प्रभाव किस्से अलगाव बनाता है व् किस से जुड़ाव) से जुड़वाया जा रहा है; जबकि उर्दू-अरबी से ज्यादा तो हरयाणवी के शब्द पंजाबी भाषा के साथ कॉमन हैं| निसंदेह हरयाणवी बारे ऐसी बातें ज्यादा-से-ज्यादा बाहर आनी चाहियें| जल्द ही किसी पंजाबी मूवी की रिफरेन्स समेत ऐसे शब्दों को लिस्ट पेश करूँगा|
एक और ख़ास बात: अगर बॉलीवुड के बकवास व् बोरियत भरे टीवी सीरियल्स व् फिल्मों से उकता गए हो और अपने दादा-दादी-नाना-नानी के जमाने का प्योर कल्चर देखना चाहो तो आजकल आ रही पीरियड पंजाबी फ़िल्में देखिये| बस भाषा का फर्क है, यूँ-की-यूँ फिल्म की पंजाबी से हरयाणवी में डबिंग कर दो तो समझना शुद्ध हरयाणवी कल्चर की ही फिल्म देख ली| वैसे यह डबिंग शुरू करनी चाहिए, जितना जल्दी हो सके| देखें कब कौन आता है इस कारनामे के साथ|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
सोच रहा हूँ, आगे से हर पंजाबी फिल्म को देखते वक्त नोटपैड खोल के बैठ जाऊँ और प्रति पंजाबी फिल्म ऐसे शब्दों की लिस्ट बनाऊं| वह शब्द तक सुनने को मिलते हैं जो मेरे दादा-दादी-नाना-नानी बोलते थे और आजकल के बच्चों को सुनाओ तो या तो असल समझ ही नहीं आएंगे अन्यथा उर्दू बताएँगे या अरबी| वाकई में मेरे से पहले वाली व् मेरी हरयाणवी पीढ़ी में बहुत डाउन आया है| इस मामले में मेरे से पहले वाली पीढ़ी तो अगर बिलकुल सो गई थी कहूं और मेरे वाली को आधी सोई, आधी जगी तो अतिश्योक्ति ना होगी|
क्या हम आधी जगी, आधी सोई वाले हमारी अगली पीढ़ी को हरयाणवी भाषा को दादा-दादी-नाना-नानी वाले रूप में पास कर पाएंगे? अगर कर गए तो हमारी पीढ़ी का अति-विशेष स्थान रहना है आगे वाली पीढ़ियों में| इतना आनंद किसी हिंदी-इंग्लिश-फ्रेंच मूवी में नहीं आया जितना पंजाबी मूवीज में आ रहा है और वह भी ऊपर बताई वजह से तो डबल| इनको देखकर लगता है कि हरयाणवी अभी जिन्दा है और प्रैक्टिकल में जिन्दा है| बल्कि आजकल हिंदी फिल्मों से तो बोरियत भी होने लगी है, जबकि पंजाबी मूवी देखना शुरू करता हूँ तो बस खत्म होने पे ही पता चलता है; इतना आत्ममुग्ध हो जाता हूँ देखते-देखते|
यह एक्सरसाइज करनी शुरू करनी होगी, इससे पंजाबी-हरयाणवी और नजदीक आएंगे एक दूसरे के| आजकल कुछ फंडियों ने मुहीम चला रखी है कि हरयाणवी तो उर्दू-अरबी की उधारी बोली (भाषा भी नहीं कहते) है (पहले दुष्प्रचार करते थे कि लठमार है), और यह कह कर हरयाणवी से मोह छुड़वाया व् हिंदी (हिंदी सीखना/बोलना/लिखना कोई बुरी बात नहीं, परन्तु ऐसे दुष्प्रचारों को बारीकी से ऑब्जर्व करके समझते चलिए कि उनका प्रभाव किस्से अलगाव बनाता है व् किस से जुड़ाव) से जुड़वाया जा रहा है; जबकि उर्दू-अरबी से ज्यादा तो हरयाणवी के शब्द पंजाबी भाषा के साथ कॉमन हैं| निसंदेह हरयाणवी बारे ऐसी बातें ज्यादा-से-ज्यादा बाहर आनी चाहियें| जल्द ही किसी पंजाबी मूवी की रिफरेन्स समेत ऐसे शब्दों को लिस्ट पेश करूँगा|
एक और ख़ास बात: अगर बॉलीवुड के बकवास व् बोरियत भरे टीवी सीरियल्स व् फिल्मों से उकता गए हो और अपने दादा-दादी-नाना-नानी के जमाने का प्योर कल्चर देखना चाहो तो आजकल आ रही पीरियड पंजाबी फ़िल्में देखिये| बस भाषा का फर्क है, यूँ-की-यूँ फिल्म की पंजाबी से हरयाणवी में डबिंग कर दो तो समझना शुद्ध हरयाणवी कल्चर की ही फिल्म देख ली| वैसे यह डबिंग शुरू करनी चाहिए, जितना जल्दी हो सके| देखें कब कौन आता है इस कारनामे के साथ|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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