विश्व में इंडिया के अतिरिक्त कहीं ही ऐसा हो कि आपको अपना विरोध दर्ज
नहीं करने/करवाने हेतु ऐसे डराया जा रहा हो, जैसे यूपी गवर्नमेंट ने किया
है| अमेरिका-यूरोप-ऑस्ट्रेलिया आदि जगहों पर रहने वाला कोई एनआरआई शायद ही
बता पाए कि उसने इन देशों में कभी ह्यूमन-राइट्स की इतनी खुली सरकारी
अवहेलना देखी हो? यह "उल्टा चोर कोतवाल को डांटे" की हूबहू बानगी है| और यह
माइनॉरिटी रिलिजन वालों से ज्यादा खुद हिन्दुओं के लिए घातक होने वाली है
क्योंकि यह मंशा दिखाने का बहाना बेशक सीएए लिया गया हो, परन्तु इशारा उन
किसानों-मजदूरों-व्यापारियों से ले बैंक व् सिस्टम द्वारा लुटे-पिटे लोगों
और यदाकदा आरक्षण के लिए आवाजें उठाते रहने वाले वर्गों को भी है कि बोल मत
जाना; वरना अगले पोस्टर्स तुम्हारे होंगे| स्पष्ट है कि वर्णवाद की जो
मानसिकता विश्व की सबसे क्रूरतम व् अनैतिक इंसानी थ्योरियों में है उसके
प्रैक्टिकल टेस्ट होने शुरू हो चुके हैं इंडिया में|
ऐसे हालातों में अमेरिका-यूरोप-ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की सरकारों व् सविंधानों की नैतिकता क्या कहती व् करती है?: वह कहती है कि अगर जनता को सरकारों के विरोध में सड़कों पर उतरना पड़ जाए तो पहला दोष सरकारों का है, जनता का नहीं| क्योंकि जनता अगर सड़क पर आ रही है तो सरकार से कोई ना कोई चूक हुई है, इसीलिए ऐसा हुआ है| इसलिए यहाँ सरकारें असल तो अपने ऐसे दोष दूर करने हेतु कार्य करने लग जाती हैं अन्यथा अपने दोषों को दूर नहीं भी कर पावें तो इतनी हरामपणे की अनैतिकता पर तो बिलकुल भी नहीं उतरती कि खुद को ठीक करने की बजाये, विरोध करने वाले को ही अपराधी घोषित करने निकल पड़ें| और वह भी खुद ही कोर्ट-जस्टिस बनकर, जैसे यूपी गवर्नमेंट ने इस सलंगित पोस्टर जैसी हरकत करके किया है|
क्या देख रहे हो, तथाकथित भक्ति-धर्म और राष्टभक्ति के नाम पर टूलने वाले बहुसंख्यक हिन्दुओं, तुम में से 95% किसान-मजदूर-व्यापारी हो| साफ़ डरावा है यह तुमको कि बेटा हम फंडी लोग देश के बैंक लूटें-लुटवायें, ह्यूमैनिटी की ऐसी-तैसी करें या करवाएं, किसान को सुगरमीलों से बाकायदा उनके हक वाली पेमेंट (मुवावजे-ऋण माफ़ी वगैरह नहीं) भी या अन्य फसलों के एमएसपी ना देवें या ना दिलवाएं तो भी चुपचाप हम वर्णवाद से ग्रसित तथाकथित स्वर्ण मेंटालिटी की उच्चता वालों की सरकार के आगे ऐसे ही नतमस्तक रह कर चुपचाप हमारे लिए कमाते रहो| इसलिए सससस ..... चुप जो आवाज तक निकाली तो, क्योंकि आज आप उस सोच से निर्देशित हो जो कहती है कि, "स्वर्ण चाहे तो शूद्र (इनके अनुसार) का कमाया बलात हर ले या उसको उसकी कीमत न दे, तो भी वह अपराध का भागीदार नहीं यानि ऐसा करना इनके लिए अपराध ही नहीं"|
मरो-सड़ो इस व्यवस्था में, क्योंकि यह यूँ ही कोई एक दिन में नहीं लद गई तुम्हारे भेजों में| इसको लादने, तुममें ठूंसने हेतु बाकायदा टीवी-फिल्मों-कथाओं के जरिये तथाकथित धार्मिक शुद्रवाद पहले तुम्हारी औरतों में घुसेड़ा गया, औरतों से तुम्हारे बच्चों में और बच्चों से तुममें (इन द्वारा इंसान को मानसिक गुलाम बनाने की यह प्रक्रिया नोट कर लेना अच्छे से, यह तुम पर सीधा हमला कभी नहीं बोलते; कहीं यूँ बाट में बैठे हो लठ-तलवार लिए कि यह आमने-सामने आएंगे तुमसे युद्ध करने; इनका युद्ध करने का यही तरीका है) और तुममें घुसते ही हमने तुम पर ऐसा घेरा पा लिया है कि तुम चुस्के तो ऐसे पोस्टर्स अगले तुम्हारे होंगे| चूँग लो भक्त इस भक्ति को, बस इंतज़ार करो थोड़ा और; क्योंकि "ऐसा कोई सगा नहीं जिसको इन्होनें ठगा नहीं" और तुम तो इनके सगे से भी आगे वाले भक्त हो तो तुमको छोड़ भी कैसे देंगे, इनके खून में आदत में जो है सगे की सबसे पहले गोभी खोदना| खुदनी शुरू हो चुकी है यह भक्तो तुम्हें भी इन बैंको के डूबने, व्यापारों के डूबने और तुम्हारे किसान-मजदूर माँ-बापों के तिल-तिल मरने के जरिये अहसास होना शुरू तो हो चुका होगा? एक बात समझ लो वर्णवाद से बड़ा वायरस कोई नहीं इस दुनियां में, इसका डसा बहुत मुश्किल इससे बाहर आ पाता है| इसलिए अब भी वक्त है बच जाओ इससे| वरना बताओ इस मानसिकता के अलावा और कौनसी मानसिकता हो सकती है ऐसी हरकते करने के पीछे? डरावे का ओढ़का किसी और का और खूनी पंजा तुम पर|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
ऐसे हालातों में अमेरिका-यूरोप-ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की सरकारों व् सविंधानों की नैतिकता क्या कहती व् करती है?: वह कहती है कि अगर जनता को सरकारों के विरोध में सड़कों पर उतरना पड़ जाए तो पहला दोष सरकारों का है, जनता का नहीं| क्योंकि जनता अगर सड़क पर आ रही है तो सरकार से कोई ना कोई चूक हुई है, इसीलिए ऐसा हुआ है| इसलिए यहाँ सरकारें असल तो अपने ऐसे दोष दूर करने हेतु कार्य करने लग जाती हैं अन्यथा अपने दोषों को दूर नहीं भी कर पावें तो इतनी हरामपणे की अनैतिकता पर तो बिलकुल भी नहीं उतरती कि खुद को ठीक करने की बजाये, विरोध करने वाले को ही अपराधी घोषित करने निकल पड़ें| और वह भी खुद ही कोर्ट-जस्टिस बनकर, जैसे यूपी गवर्नमेंट ने इस सलंगित पोस्टर जैसी हरकत करके किया है|
क्या देख रहे हो, तथाकथित भक्ति-धर्म और राष्टभक्ति के नाम पर टूलने वाले बहुसंख्यक हिन्दुओं, तुम में से 95% किसान-मजदूर-व्यापारी हो| साफ़ डरावा है यह तुमको कि बेटा हम फंडी लोग देश के बैंक लूटें-लुटवायें, ह्यूमैनिटी की ऐसी-तैसी करें या करवाएं, किसान को सुगरमीलों से बाकायदा उनके हक वाली पेमेंट (मुवावजे-ऋण माफ़ी वगैरह नहीं) भी या अन्य फसलों के एमएसपी ना देवें या ना दिलवाएं तो भी चुपचाप हम वर्णवाद से ग्रसित तथाकथित स्वर्ण मेंटालिटी की उच्चता वालों की सरकार के आगे ऐसे ही नतमस्तक रह कर चुपचाप हमारे लिए कमाते रहो| इसलिए सससस ..... चुप जो आवाज तक निकाली तो, क्योंकि आज आप उस सोच से निर्देशित हो जो कहती है कि, "स्वर्ण चाहे तो शूद्र (इनके अनुसार) का कमाया बलात हर ले या उसको उसकी कीमत न दे, तो भी वह अपराध का भागीदार नहीं यानि ऐसा करना इनके लिए अपराध ही नहीं"|
मरो-सड़ो इस व्यवस्था में, क्योंकि यह यूँ ही कोई एक दिन में नहीं लद गई तुम्हारे भेजों में| इसको लादने, तुममें ठूंसने हेतु बाकायदा टीवी-फिल्मों-कथाओं के जरिये तथाकथित धार्मिक शुद्रवाद पहले तुम्हारी औरतों में घुसेड़ा गया, औरतों से तुम्हारे बच्चों में और बच्चों से तुममें (इन द्वारा इंसान को मानसिक गुलाम बनाने की यह प्रक्रिया नोट कर लेना अच्छे से, यह तुम पर सीधा हमला कभी नहीं बोलते; कहीं यूँ बाट में बैठे हो लठ-तलवार लिए कि यह आमने-सामने आएंगे तुमसे युद्ध करने; इनका युद्ध करने का यही तरीका है) और तुममें घुसते ही हमने तुम पर ऐसा घेरा पा लिया है कि तुम चुस्के तो ऐसे पोस्टर्स अगले तुम्हारे होंगे| चूँग लो भक्त इस भक्ति को, बस इंतज़ार करो थोड़ा और; क्योंकि "ऐसा कोई सगा नहीं जिसको इन्होनें ठगा नहीं" और तुम तो इनके सगे से भी आगे वाले भक्त हो तो तुमको छोड़ भी कैसे देंगे, इनके खून में आदत में जो है सगे की सबसे पहले गोभी खोदना| खुदनी शुरू हो चुकी है यह भक्तो तुम्हें भी इन बैंको के डूबने, व्यापारों के डूबने और तुम्हारे किसान-मजदूर माँ-बापों के तिल-तिल मरने के जरिये अहसास होना शुरू तो हो चुका होगा? एक बात समझ लो वर्णवाद से बड़ा वायरस कोई नहीं इस दुनियां में, इसका डसा बहुत मुश्किल इससे बाहर आ पाता है| इसलिए अब भी वक्त है बच जाओ इससे| वरना बताओ इस मानसिकता के अलावा और कौनसी मानसिकता हो सकती है ऐसी हरकते करने के पीछे? डरावे का ओढ़का किसी और का और खूनी पंजा तुम पर|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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