Thursday, 5 March 2020

ऐसी बिरादरियों, जिनको हर बिरादरी के फंक्शन में जासूसी करने हेतु एक-दो नुमाइंदा भेजने/शामिल करवाने की खाज होती है या तो उनसे तुम भी ऐसा ही बराबरी का पैक्ट करो कि उनके प्रोग्राम में हमारा भी एक-दो नुमाइन्दा आया करेगा; अन्यथा तो क्यों वो मेरी दादी की कहानी वाली नकटी रांड कहलवा अपनी छीछालेदार करवाते हो!


नकटी रांड कौनसी? मेरी दादी एक नकटी लुगाई की कहानी सुनाती थी कि वह इतनी नकटी थी कि उसका खसम उसको मारने दौड़े और वह कहे कि इबकै मार? वो उसकै एक जड़ै, वह फिर यही बकै कि अबकै मार? वो फेर जड़ै वा फेर बकै|

यह जितने भी बिरादरी के टाइटल से फंक्शन्स होते हैं, इनमें अगर इस पोस्ट के शीर्षक के अनुसार पैक्ट के तहत ही कोई अन्य बिरादरी का व्यक्ति आवे और आप उनके में जावें या अपना नुमाइंदा/जासूस भेजें तो ही बात राह लगती है| अन्यथा अपनी बिरादरी के फंक्शन का मतलब सिर्फ अपनी ही बिरादरी के लोग होने चाहिए, आयोजक-स्पोंसर्स-पार्टिसिपेंट्स सब|

और खासकर जिन समाजों ने फरवरी 2016 देख व् झेल लिया हो अगर वह सिर्फ और सिर्फ अपनी जाति या सामाजिक संस्था का ही सम्मेलन-महापंचायत नहीं कर सकते और उसको वाकई में उसी के लोगों तक सिमित नहीं रख सकते तो समझना वह मानसिक रूप से अभी तक भी खुद को आज़ाद नहीं कर पाए हैं| ऐसे लोग पुरखों की निर्भीकता व् स्वछंदता के रत्तीभर भी पास नहीं पहुंचे हैं| ऐतराज नहीं कि 36 बिरादरी के कार्यक्रम भी करो और औरों द्वारा किये हुओं में जाओ भी, परन्तु अगर कार्यक्रम सिर्फ अपनी बिरादरी के नाम पर करते हो और वहां नॉन-अपनी बिरादरी को बिना किसी इस पोस्ट के शीर्षक टाइप समझौते या पैक्ट के जिमाते/बुलाते हो तो तुम वाकई मेरी दादी की ऊपर बताई कहानी वाले नकटे हो| ऐसे नकटे लोगों से दूर रहो चाहे वह किसी भी बिरादरी के हों|

वह आदमी बिरादरी का हो ही नहीं सकता जो फरवरी 2016 जैसे इन्सिडेंट्स को बेस या सीख मान, कार्यक्रम व् उनकी स्ट्रेट्जी बना के नहीं चल सकता/सकती; इससे तो अच्छा है कि आप कार्यक्रम ही मत करो| नकटी मति के साथ कार्य करने से आप कार्य नहीं ही करोगे तो वह भी बिरादरी की असिमता-बुलंदी में आपका योगदान होता है|

विशेष: ऐसे लोगों का नाम, बिरादरी व् काम मेंशन किये बिना, जनरल तरीके से संदेश देने सीखिए| इससे संदेश लेने वाला संदेश ले लेगा और जिनने गलती की होगी उसको महसूस भी नहीं होगा| पोस्ट हमेशा जोड़ने की होनी चाहिए, महसूस करवाने या तोड़ने की नहीं|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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