Thursday, 9 April 2020

मेरे गाम निडाना, जिला जिंद का जाट किस खूम का है?

"गज़नी टू गोहाना" का रोचक किस्सा!

भंते पान्ने वाले आदरणीय दादा चतर सिंह बताते हैं कि पोता, "आप्पा दादा भेड्डी का खूम हैं| दादा भेड्डी, दादा चौधरी मोमराज जी गठवाला महाराज और उनकी मुस्लिम बीवी (यानि हम गठवाले मलिक जाटों की दादी) की सात औलादों में से एक थे| उनकी सात औलादें थी बांगड़, जांगड़, दाधळ, जड़िया, भेड्डी, पधाण व् सातवां रांगड़ बन गया था| रांगड़ जो बना वो गोहाना की गढ़ी में अलग से बसता था| दादा बताते हैं कि निडाना से ललित खेड़ा, निडानी, गतौली, रामकली व् उझाना (नरवाना) में व् निडानी से सिंधवी खेड़ा में जो मलिक बसते हैं यह सब निडाना से गए हुए हैं| छोटी-बड़ी शामलो दोनों दादा पधाण की हैं|

दादा बताते हैं कि क्योंकि हमारी मुस्लिम दादी गढ़ गज़नी के सुल्तान की शहजादी थी और उनको दादा मोमराज से प्यार हुआ तो, दादा उन दादी को भगा लाये व् कासण्डा, गोहाना में आ के "दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर" स्थापित किया| गठवालों में जिन दादा नगर खेड़ों के साथ "बड़ा बीर" लगा हुआ है, वो सिर्फ 4 हैं; जिनमें से एक कासण्डा में, एक आहूलाणा में और एक निडाना में हैं; चौथे का मुझे नाम ध्यान नहीं रहा|

दादा मोमराज व् शहजादी दादी को भगाने में जिस जोड़े ने मदद की थी उनका नाम था "दादा बाहड़ला पीर" व् उनकी बेगम "दादी चौरदे"| यह जोड़ा बेऔलादा था| गजनी से गोहाना आते वक्त, दादी चौरदे, दादा मोमराज जी को बोली कि, "चौधरी, क्या हमारा भी कोई नामलेवा होगा"? तो दादा ने दादी को वचन दिया कि, "बहन शौक ना करिये, मेरा खूम तुझे गठवालों की कुलदेवी के रूप में पूजेगा"| दादा इसपे बताते हैं कि अपने गाम में जो दादी चोरदे की मढ़ी है यह उन्हीं दादी की है| |

दादा ने एक रोचक बात और बताई कि इसी वजह से हिन्दू धर्म वाले गठवाले जाटों को महाहिन्दु मानते हैं, क्योंकि उनके अनुसार अगर कोई मुस्लिम औरत से ब्याह करता है तो वह महाहिंदु कहलाता है| खैर, पोता यह तो इनके चोंचले हैं, इंसान को सबसे पहले इंसान होना चाहिए|

दादा ने एक रोचक बात और बताई कि कुछ फंडियों के बहकावे में आ कर, एक बार जाट समाज के कुछ तबकों ने गठवाले जाटों का बहिष्कार करने को पंचायत बुला ली| मुद्दा था कि तुम तो मुस्लिम औरत की औलाद हो तो हम तुमसे भाईचारा कैसे रखें? देखो फंडियों का भरा जहर इंसान को अँधा करता है तो वह धर्म वालों की बताई यह बात भी भूल जाता है कि जो मुस्लिम औरत ब्याह के लाएगा वह महाहिंदु कहलायेगा| खैर, फंडियों का तो काम ही यही होता है कि समाज में पाड़-तुवाड़े मचाये रखना, फिर बेशक इनको इनके खुद के खूमों-ठिकानों का पता हो या ना पता हो| उस वक्त दादा चौधरी घासी सिंह मलिक, गठवाला खाप के प्रधान थे| उस सभा को उन्होंने यह कह के पड़वा दिया था कि धर्मानुसार भी मानो तो वैसे तो हम महाहिंदु हैं परन्तु फिर भी ऐसा है तो फिर एक काम करो थारी जितनी छोरियां म्हारे ब्याह रखी हैं सारी वापिस ले लो और म्हारे आली म्हारे वापिस भेज दो| बस इतने पे ही पंचायत पाट गई थी|

कोरोना लोक-डाउन में आज ऐसे ही निडाना हाइट्स की वेबसाइट पर घूम रहा था तो दादा चतर सिंह का 2014 में लिया मेरा इंटरव्यू सामने आ गया तो सोचा जानकारी फिर से साझी की जाए|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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