बिचौलिये यानि आढ़ती सरकार और किसान के बीच होते थे, और सरकार किसान को MSP आदि के जरिये बिचौलिये से बचा के रखे; यही कानून सर छोटूराम "मंडी-एक्टस" में बना के गए थे| परन्तु फंडियों तुमने तो सरकार ही प्राइवेट को गिरवी रख के, मंडी की MSP वाली सिक्योरिटी लेयर हटा के प्राइवेट को किसान पे खुला छोड़ दिया|
कभी कम, कभी ज्यादा परन्तु MSP एक ऐसा हथियार है जो किसान कानूनी तौर पर आंदोलन करके भी सुरक्षित रखता आया है| परन्तु यह जो प्राइवेट सेक्टर लाया गया है इसको सर छोटूराम की तरह किसी MSP की कंडीशन में नहीं बाँधा गया है और SDM से ऊपर किसान की सुनवाई नहीं इसमें| लगता है जैसे इन्होनें देश का हर तरफ से भट्टा बैठाने की जिद्द सी लगा ली हो देश से कि अभी ताजा-ताजा आये GDP के आंकड़ों में यह जो मात्र कृषि-सेक्टर की +3.4% की ग्रोथ GDP आई है आखिर यह अकेली पॉजिटिव कैसे रह सकती है जब हमने बाकी सारी की -23.4% तक की डाउन ग्रोथ वाली तली निकाल दी तो इसकी भी निकाल के ही मानेंगे|
क्योंकि ऐसा प्राइवेट सेक्टर वालों में टैलेंट होता तो यह इनके सेक्टर्स की ग्रोथ -23.4% तक की डाउन ग्रोथ में जाने देते क्या? महानिकम्मे-महानाकारा लोग हैं प्राइवेट सेक्टर के; अच्छे-खासे खेती के सेक्टर का जो अगर 2 साल में भट्टा ना बैठा देवें तो देखना| सनकी लोगों का ईलाज पागलखाना है सिर्फ| भक्तो, तुह्मारे घर की टूम-ठेकरी जब तक नहीं बिक लेंगी, चुसकना मत|
चंगुल में भी तो उनके फंस चुके हो तुम, कि अगर कल को इन्होनें तुम्हारी बहु-बेटियां देवदासियाँ बना के नचा दी और सामूहिक भोग लगा दी तो इसमें भी तुमको धार्मिक पुन्य नजर आएगा| निकल लो वक्त रहते इस अंधभक्ति से वरना यह "hypnotism" यानि वशीकरण के इतने बड़े खिलाडी हैं कि यह तुम्हारी बेटियों की साउथ-इंडिया व् थाईलैंड की तरह देवदासियां बना रहे होंगे और तुम आत्मिक व् मानसिक बल से कमजोर खड़े-खड़े सिर्फ देख रहे होंगे| वशीकरण की हद तक जो चीज चली जाए, वह धर्म नहीं होता; वह उड्डंदता होती है, जो यह तुमको जल्द ही दिखा के छोड़ेंगे अगर यूँ ही पागल बने रहे तो|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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