Friday, 18 December 2020

औरंगजेब के दरबार में शहादत!

पोस्ट का निचोड़: आखिर कब तक इन फ़िल्मी आरतियों में धर्म ढूंढते रहोगे?

1 जनवरी 1670 सर्वखाप चौधरी गॉड गोकुला जी महाराज की शहादत होती है| आप जी ने औरंगजेब के द्वारा खेती-किसानी पर नाजायज कर लगाने के विरोध में सन 1669 में 7 महीने किसान-क्रांति करी व् अपने साथियों और 21 खाप चौधरियों के साथ शहादत दी|
दूसरी तरफ उसी औरंगजेब के दरबार में एक और शहादत हुई थी, 11 नवंबर 1675 में सिख गुरु तेग बहादुर जी महाराज की|
अब फर्क समझो तुम्हारे अपने धर्म में तुम्हारी अपनी पकड़ व् धर्म के पैरोकारों को धर्म की वाकई व् सही ड्यूटी पता होने का:
कौनसा ऐसा सिख ना होगा, जिसको गुरु तेग बहादुर की शहादत याद नहीं?
और हिन्दुओं में?
फंडी वर्ग तो छोड़ो जिस वर्ग से गॉड गोकुला आते हैं, 70% से ज्यादा तो उन्हीं को यह नहीं पता कि गॉड गोकुला थे कौन?
अत: सनद रखो कि सिर्फ धार्मिक होना ही काफी नहीं, आपके धर्म की कमांड व् कण्ट्रोल भी आपके हाथ में होना बहुत जरूरी है| आखिर क्यों मंदिरों के भोंपुओं से हमेशा फ़िल्मी आरतियां व् गाने ही बजाए जाते हैं? क्या हिन्दू धर्म में बलिदानियों की कमी है? क्यों नहीं सिख व् मुस्लिम धर्म की भांति इनके ऊपर शौर्य गाथाएं, गुरुबानियाँ बना के गाई-बजाई जाती?
आखिर कब तक इन फ़िल्मी आरतियों में धर्म ढूंढते रहोगे?
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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