Friday, 18 December 2020

मिशलों व् खापों/पालों का समकक्ष मिल्ट्री कल्चर!

1) जब आप सिख निहंगों की सरंचना देखेंगे तो पाएंगे कि हर एक निहंग जत्थे की इंचार्ज एक मिशल है और यह जत्थेबंदियां अधिकतर "सीरी-साझी" बिरादरियों के बंदों की बनी हुई होती हैं|


2) ऐसे ही सर्वखाप सिस्टम में निहंग दस्ते के समकक्ष हर खाप/पाल के उसके हर गाम गेल "पहलवानी दस्ते" होते आये हैं, जो कि मिशलों की तरह ही अधिकतर सीरी-साझी बिरादरियों के ही बने होते हैं और जब-जब सर्वखाप की लड़ाईयां होती थी तो खाप/पाल की कॉल पर एक चिट्ठी के जरिये संदेशा दे कर बुलवाये जाते थे व् रातों-रात हजारों-हजार की सर्वखाप आर्मी खड़ी हो जाती थी|

अत: यह जो पंजाब-हरयाणा-दिल्ली-वेस्ट यूपी, उत्तरी राजस्थान, उत्तराखंड में गाम-गेल कुश्ती के अखाड़े पाए जाने का "मिल्ट्री कल्चर" है इसकी बुनियाद यह मिशल व् खाप सिस्टम रहे हैं|

हालाँकि सर्वखाप सिस्टम जो कि फंडियों द्वारा बहुत ज्यादा छिन्नभिन्न किया जाता रहा है (स्वधर्मी होने का लाभ उठा कर यह फंडी यही पाड़-तुवाड़े करते आये हैं और अभी भी देख लो वर्तमान किसान आंदोलन को पाड़ने-तोड़ने में सबसे ज्यादा यही सलिंप्त हैं बावजूद यह इनके स्वधर्मी किसान के हक-हलूल की लड़ाई होने के) इनमें अगर यह फंडियों को फंदे-नकेल-नथ डाल लेवें तो यह सिस्टम ज्यों-का-त्यों कायम रह सकता है|

अच्छा हुआ जो भले वक्तों में भले महापुरुषों-गुरुवों के तेज से सिख लोग अलग हो गए और अपना यह सिस्टम ज्यों-का-त्यों बचाए हुए हैं; तभी तो निहंगों के घोड़े दिल्ली बॉर्डर्स पर अग्रिम कतार में ताल ठोंक रहे हैं|

आशा है कि इस किसान आंदोलन के हासिल के बाद सर्वखाप की खापलैंड पर इस "मिल्ट्री-कल्चर" को सहेजने व् सींचने का कोई मूवमेंट चलेगा|

विशेष: आशा है कि कोई भक्त इस पोस्ट पर यह कहते हुए भड़केगा नहीं कि ये देखो यह लोग तो देश में ही देश की ऑफिसियल सेना के समानांतर सेना खड़ी करने की बात कर रहे हैं; ऐसा बकने से पहले अपनी लाठियों वाली कच्छाधारी ब्रिगेड को चेक कर लेना कि वह क्या है? मिशल और खापों का तो देशहित में लड़ने का इतिहास भरा पड़ा है, तुम्हारा तो सिर्फ तोड़फोड़ का इतिहास है सिर्फ अफरातफरी का|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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