Sunday 14 March 2021

आर्य-समाज को संभालिये, फंडियों के भरोसे उनके कब्जे में मत छोड़िए!

जैसे मतदान पर रिकॉल का अधिकार होता है, ऐसे ही धनदान-जमीनदान पर भी रिकॉल का अधिकार होता है| अगर लगता है कि कुपात्र को दान दिया गया और गलती हुई तो गलती ठीक कीजिए और कुपात्र को वहां से उखाड़ फेंकिए; फिर चाहे वह कोई शिक्षा स्थल हो या धर्मस्थल| अन्यथा वह कुपात्र आपके दान को वरदान की बजाए समाज-सभ्यता पर श्राप साबित कर देगा| और श्राप के लिए तो आप दान देते नहीं हो, इसलिए यह मर्यादा कोई लांघे तो आप उसको वहां से हटा दीजिए|

दान, वंशानुगत होता है| अगर पुरखे ने या जाति ने दान दिया है तो उस दान से बने-खड़े तंत्र-सिस्टम से बदनामी या शाबाशी का श्रेय-लांछन आप पर भी चढ़ता है| वरदान साबित होता है तो लोग जिक्र में जरूर रखते हैं कि फलां के बाप-दादा ने या फलां जाति-समुदाय ने बनाया था और अगर प्रबंधकों के कुप्रबंधन-बदनीयत से उसमें गलत काम होते हैं तो वह श्राप साबित होता है व् ऐसा करने वालों के साथ-साथ उसको बनवाने वालों को भी गाली पड़ती हैं; यश घटता है| इसलिए वह चीज शाबाशी के लिए ही बनी रहे; इसलिए नजर व् नियंत्रण दोनों रखिए|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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