ईसाईयत में 4 त्यौहार खेती से संबंधित मनाए जाते हैं|
सिखी का हर दूसरा त्यौहार खेती से संबंधित होता है|
परन्तु ग्रेटर हरयाणा वालों में कितनों को पता है कि आज 'मेख का त्यौहार है'? मेख यानि बैशाखी का हरयाणवी वर्जन; सिर्फ शब्द का फर्क बाकी कांसेप्ट 100% वही|
गलती किसकी? तीज-त्यौहार मनवाने व् लोगों के जेहन में तरो-ताजा रखने की जिम्मेदारी किसकी? क्या धर्म की नहीं?
अत: स्पष्ट है कि धर्म अंधे हो कर फॉलो करने की चीज नहीं होती अपितु इनका पाळी बन इनको हाँकने की भी ठीक वैसी ही जरूरत होती है जैसे गाय/भैंसों को एक पाळी हांका करता है| तो इस धर्म रुपी गाय/भैंस को हाँको, ना कि इसके द्वारा हाँके जाओ|
भूलो मत तुम उन पुरखों की औलादें हो जिनके बारे कहा गया है कि, "जाट, रोटी भी खिलाएगा तो गले में रस्सा डाल के"; यह रस्सा डला रहना चाहिए इनके गले में अन्यथा यही रस्सा यह तुम्हारे गले में डाल देंगे; और आजकल इनकी यह कोशिश पुरजोर पर है, देख भी रहे होंगे|
वह धर्म किसी काम का नहीं जो तुम्हें sociocultural-economical रूप से कोई लाभ नहीं करवा सकता हो| यह तुम्हें दिन-रात रुक्के मार-मार कभी वेस्ट से कभी मुस्लिमों से तो कभी तुम्हारे ही भीतर 35 बनाम 1 में आइसोलेट तो बड़े कर देते हैं; तुम्हारे यह वास्तविकता आधारित त्यौहार क्यों नहीं याद रखवाते, आगे बढ़वाते?
इंटरेस्ट लो इन बातों में, अगर नहीं चाहते कि दुनिया तुम्हें 'कंधे से नीचे मजबूत और ऊपर ............" की खिल्ली उड़ाए तुम्हारी|
इंटरनेशनल जाट दिवस, बैशाखी, मेख, विक्रमी संम्वत, खालसा स्थापना दिवस की आप सभी को शुभकामनाएं!
व् सबसे जरूरी जलियांवाला कांड की बरसी पर सभी शहीदों को नमन/प्रणाम!
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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