Tuesday, 13 April 2021

किसान जरा सरकार की 'फसलों की पेमेंट उनके खातों में सीधी डालने' की क्षणिक ख़ुशी देने वाली काईयां चाल को समझें!

अडानी-अम्बानी जैसे हर छोटे से ले बड़े व्यापारी के सर पर लगभग हर वक्त इतना कर्जा व् लोन होते हैं कि अगर बैंक इनके कंपनी खातों से यह कर्जे अगली पेमेंट पड़ते ही सीधे काटने लग जाएँ तो इनके अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने को इनमें से किसी विरले के पास पैसे ही बचें और यह रोड पर आ जाएँ| इनके मामले में कानून यह है कि इनकी मर्जी जाने बिना बैंक इनके खातों से पैसे नहीं काट सकते|

"किसान आंदोलन" की काट ढूंढने के चक्कर में व् अभी तक सरकार की काईयां चालों से अनिभज्ञ किसानों को कुछ विशेष ख़ुशी देने की ट्रिक अपनाते हुए सरकार ने किसान की मर्जी जाने बिना, इस सीजन से बेची गई फसलों के पैसे सीधे किसानों के बैंक खातों में डालने शुरू किये हैं, वह भी जैसे व्यापारी की मर्जी के बिना उनके खाते से बैंक पैसा नहीं काट सकता, ऐसी कोई सुविधा या कानून हुए बिना| और क्योंकि व्यापारियों की ही भांति हर दूसरा किसान बैंकों का कर्जदार है तो फसलों की पेमेंट सीधी खातों में आने का नतीजा यह हो रहा है कि खाते में पैसे आते ही बैंक अपनी किस्तें/कर्जे काट ले रहे हैं| इसका नतीजा यह हो रहा है कि किसानों को सीधा पैसा मिलने की ख़ुशी दिन-के-दिन उसी वक्त फुर्र हो जाती है जब उनको मेसेज आता है कि बैंक ने लोन के इतने पैसे काट लिए|
बहुत किसानों की ऐसी शिकायतें आनी भी शुरू हो चुकी हैं| कोई किसान इसको आढ़तियों से जोड़ के देखे तो वह इतना जान ले कि आढ़ती को उसका सर्विस कमीशन ज्यों-का-त्यों जा रहा है| बस इतना फर्क पड़ा है कि बैंक की बजाए किसान को पैसे आढ़ती के जरिए मिलते तो वह अपने घर के पहले से मुंह-बाए खर्चे निबटा लेता| अब उनसे भी गया| तो सरकार की यह काईयां एप्रोच आढ़तियों का कुछ नुकसान नहीं करेगी, मारे किसान जाएंगे|
अभी गुरनाम चढूनी जी की एक किसान के साथ यह ( https://www.youtube.com/watch?v=j4hc-tpECM0) वीडियो देख रहा था कि कैसे बैंक में डलते ही बैंक ने 24000 रूपये एक किसान के खाते से झट से काट लिए बिना उसकी आज्ञा लिए|
इसलिए जरा सम्भल के व् सरकार को यह आह्वान कीजिए कि या तो बैंक व्यापारियों की भांति हमारी भी मर्जी जाने बिना पैसा ना काटें अन्यथा हमें कैश दिया जाए| आपके साथ भी ऐसा हो तो सयुंक्त किसान मोर्चा को भी अवगत करवाएं|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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