याद रखना इससे पहले इस कंपनी को खापों में दो-दो चौधरी बनवा इनको धड़ों में बाँट इनकी ताकत कम करने का काम दिया गया था, जिसमें यह काफी जगह कामयाब भी हुए| भला हो इस किसान आंदोलन का कि खाप-चौधरी तो फिर से एक हो गए हैं व् एकमुश्त किसान आंदोलन में जी-जान व् चट्टान जैसी ढाल की तरह संयुक्त किसान मोर्चे के पीछे खड़े हैं| जो कि किसान आंदोलन को एक अप्रत्याशित शक्ति प्रदान करता है|
अब ठगपाल एंड कंपनी को किसान आंदोलन का ठेका मिला हुआ है सीधा फंडियों के उच्च दरबार से| इसकी सत्यता जांचनी है तो जरा चेक करो, ठगपाल के गुर्गे, कौनसी किसान यूनियन में किस-किस जिले के यूनियन अध्यक्ष बन के घुसे हुए हैं व् किसान आंदोलन शुरू होने के बाद से घुसाए गए हैं| इनको वहां-वहां से बाहर निकलवा दो, सब बाज की तरह वापिस एकमुश्त किसान आंदोलन के असली मुद्दों पर केंद्रित हो जाएंगे| अन्यथा टोहाना घटना का हीरो, जिसने उसमें घुसे संघी पहचनवाये व् उनका विरोध किया; वह अभी चुनाव में उतरने की रट क्यों पकड़ेगा? सब ठगपाल एंड कंपनी का असर है| पब्लिक अपील हो इस कंपनी से दूर रहने की|
राजनीति कीजिए परन्तु स्टेप-बाई-स्टेप| पहले किसान आंदोलन जीत लीजिये; उसके बाद आपकी इतनी क्रेडिबिलिटी बन जाएगी कि आप देश की जिस चाहे लोकसभा सीट से खड़े हो लेना| बिना इसके आपके साथ "धोबी के कुत्ते वाली बननी है, ना आंदोलन के ना इलेक्शन के"| "बननी है" लिखा है "बन सकती है नहीं"; और यह किसी रिसर्च व् तथ्यों के आधार पर लिखा है| इतना सिम्पल नहीं है कि आप आंदोलन व् चुनाव, दो नावों में एक साथ पाँव रखोगे व् पार उत्तर जाओगे| नहीं, अपितु बीच से फाड़ दिए जाओगे; गोदी मीडिया, संघ के गिद्द आँखों में खून उतारे चीरफाड़ करने को लालायित बैठे हैं|
साथ ही; छोटा मुंह बड़ी बात परन्तु इस नाजुक वक्त में ज्यादा सख्त फैसले ना लिए जावें तो बेहतर, क्योंकि संघ-शाह सब आंदोलन को तोड़ने में जी-जान लगा रहे हैं| दिसंबर-जनवरी के वक्त माहौल और था, नया-नया जोश व् अनुशासन का गज़ब भाव था; इसीलिए उस वक्त जिसका भी सस्पेंशन हुआ, ख़ुशी-ख़ुशी झेल गया| अभी का समय आंदोलन पर ज्यादा टाइट है इसको देखते हुए, "प्रेस-कांफ्रेंस से किसी भी प्रस्ताव को निरस्त घोषित कर देना" व् "उसको उठाने वाले साथी से उस प्रस्ताव को (कारण समेत) नहीं उठाने की पब्लिक अपील" करने से काम चलाया जा सकता है| हाँ, फिर भी साथी अवहेलना करे तो सस्पेंशन पर जाया जाए|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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