Monday, 5 July 2021

और फंडियों ने फ्रांस-ब्राज़ील में उसी "भारत माता" को नंगा कर दिया, जिसके जप कर-कर इनके टेंटवे नहीं सूखते!

विशेष: यह एक केस स्टडी है, जो विधार्थियों के लिए जाननी बहुत जरूरी है; ताकि वह इन फंडियों के प्रपंचों से बच अपने करियर की ऊंचाइयों को सीधे-सीधे छुएं| 


फंडियों का हिन्दू एकता व् बराबरी और राष्ट्रवाद सिर्फ इतना है कि इससे यह मुस्लिम्स को मार्किट से हटा के, मुस्लिम की दुकानों को मिलने वाले ग्राहक फंडियों की दुकानों को मिल सकें| और ऐसा हो भी रहा है और भक्त टाइप यह समझे के जिंदगी व् दिमाग खपाए जा रहे हैं कि वह इनके दिखाए रास्ते पे चल के कोई बहुत ही बड़ी स्वर्ग हासिल करने वाले काम कर रहे हैं| वो कैसे, जरा विगत दो दिन में ही एक के बाद एक आई इन चार प्रमुख खबरों से पढ़िए:


1) मोहन भागवत, मुस्लिम सम्मेलन में बोलता है कि, "हिन्दू-मुस्लिम एक DNA हैं"| 

2) मुकेश अम्बानी अरब सम्मेलन में बोलता है कि, "उसका बाप उसको अरब का खून बताता था"| 

3) फ्रांस ने इंडिया के साथ हुई राफेल डील में "क्रिमिनल केस ओपन किया है"| 

4) ब्राज़ील में इंडिया के साथ हुई कोरोना दवाइयों की डील में भारी घूसखोरी की शंका के चलते वहां की पुलिस ने वहां के राष्ट्रपति पर केस दर्ज कर जांच शुरू की है"|


पहला पॉइंट इनके झूठे हिंदुत्व की पोल खोलता है| दशकों लगा के जो मुस्लिम नफरत की राजनीति करी, कांग्रेस-लेफ्ट-रालोद सब पार्टियों को सेक्युलर होने के लिए कोस-कोस के लोगों को अपने पाले में जोड़ा; और अब अंत में खुद ही मुस्लिम प्रेम के राग अलापने लगे? भक्त, इसी को कहते हैं| भक्त मानसिक गुलाम होता है, दिमागी तौर पर बंधुआ मजदूर को कहते हैं; क्योंकि एक की भी प्रतिक्रिया नहीं आई कि हम क्या फद्दू थे फिर जो इनके कहे पे इतने दंगे-फसाद किये? मुकेश अम्बानी को क्या इसलिए हिन्दू के नाम पे उसका सामान खरीद-खरीद सबसे अमीर बनाया कि वह एक दिन खुद को "अरब का खून" बताएगा? राष्ट्रवादियों की सरकार होते हुए अमेरिका-यूरोप में इनके इंटरनेशनल घोटालों पे देश की जलालत हो रही है, क्या यह कोई इनकी ही भाषा वाले देशद्रोही मुल्लाप्रेमी कांग्रेस, रालोद या लेफ्ट वालों की सरकार है; जो इतना प्रगाढ़ राष्ट्रप्रेम होते हुए भी इन्होनें यह घोटाले कर दिए वह भी इंटरनेशनल लेवल? क्या एक बार भी झिझक नहीं हुई कि हम तो गूढ़ राष्ट्रप्रेमी हैं, एक भी गलत कदम से हमारे राष्ट्र की किरकिरी हुई तो क्या जवाब देंगे उस "भारत माता" को जिसके घड़ियाली जप करते-करते हमारे टेंटवे नहीं सूखते? भक्त पता नहीं इनको कौनसे आसमान से उतरे मानते हैं और यह भक्तों को चिपकाने वाली "भारत माता" के ही चीथड़े उतार आते हैं विदेशों में? क्या आरएसएस को संज्ञान नहीं था रफाल डील या ब्राजील वैक्सीन डील का? सब था, परन्तु जो वास्तव में नहीं था, वह था राष्ट्रप्रेम, धर्मप्रेम| 


समझ लीजिए इन चारों उदाहरणों से व् इनको सपोर्ट करने की धर्मप्रेम व् राष्ट्रप्रेम के अलावा कोई और वजहें ढूंढिए| क्योंकि ऊपर की चारों खबरें चीख के बता रही हैं कि इनके मुख से निकली "धर्मप्रेम व् राष्ट्रप्रेम" की बातें मात्र और मात्र मार्किट व् कस्टमर्स हथियाने के षड्यंत्र होते हैं| मुस्लिमों से नफरत इसलिए फैलवाई जाती है ताकि भक्त टाइप अल्पज्ञानी केटेगरी मुस्लिमों की दुकानों से सामान खरीदने की बजाए इनसे खरीदे| वरना जरा बताओ, इनके चरित्र इन चारों खबरों के बिल्कुल विपरीत होने का क्या तुक है? अगर भक्तों की भांति, मुस्लिम इनकी चिकनी-चुपड़ी बातों में आएंगे तो फिर यह वाकई में उसी के लायक हैं जो इन पर ही विश्वास करने वाले भक्तों के साथ कर रहे हैं|  


और यही लड़ाई फंडियों की जाट जैसे समाज के साथ है, जिसके साथ यह 35 बनाम 1 करते हैं| इस लड़ाई में इनको उदारवाद व् विश्व की सबसे पुराणी सोशल जूरी सिस्टम सर्वखाप को खत्म करना है| 


विशेष: यह पोस्ट किसी से नफरत के चलते या किसी को एक्सपोज करने के चलते नहीं लिखी गई है; अपितु धर्मप्रेम-राष्ट्रप्रेम के नाम पर अनैतिक तरीकों से आपके धंधे चौपट कर 2-4% लोगों को कैसे कब्जवाने हैं यह उसके तौर-तरीके होते हैं| आप हिन्दू-मुस्लिम, जाट बनाम नॉन-जाट में उलझे रहो, बस; इससे ही बन जाएगा इंडिया विश्वगुरु| 


जय यौद्धेय! - फूल मलिक 


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