Friday, 13 August 2021

बाड़ का जवाब बाड़ से दो; पर कैसी बाड़?

इस बार 15 अगस्त 2021 के मौके पर लालकिले पर लॉजिस्टिक्स कंटेनर्स की ऊँची दीवारों बारे कोई कहता है कि:

1) 56 इंची किसानों से डर गया|
2) किसानों को बदनाम कर रहा है|

इन दोनों बिंदुओं में थोड़ी बहुत सच्चाई तो है परन्तु इनसे भी बड़ी वजह व् दूरगामी राजनीति व् कूटनीति के तहत यह तथाकथित स्वघोषित स्वर्ण जमात के बच्चों में किसानों के प्रति तुच्छ भावना भर रहा है, उनके अंदर किसानों के प्रति उमड़ रहे इमोशंस को रोकना चाहता है, वह नहीं चाहता कि उनकी जमात का कोई व्यक्ति किसानों को अपने बराबर भी समझे, अपितु किसानों में सिर्फ दुश्मन देखे| वही नश्लवाद अलगाववाद की विश्व की सबसे धूर्त्तम वर्णवादी थ्योरी| वह यह दुरुस्त करना चाहता है कि तथाकथित स्वघोषित स्वर्ण समाज में कोई किसानों का हितैषी ना ऊठ खड़ा हो|

सबको मालूम है कि 10 दिन में 9 महीने होने को हैं किसान आंदोलन को; इन्होनें जहाँ किसानों का रास्ता रोका था वह वहीँ बैठे हैं| वहां से रामलीला मैदान (यही धरनास्थल निर्धारित करके चले थे किसान) तक आने की जद्दोजहद नहीं की; तो वह क्या ख़ाक ही उसके प्रोग्राम को डिस्टर्ब करेंगे| 26 जनवरी पे भी बाकायदा पुलिस परमिशन से तो ट्रेक्टर-मार्च निकाला था व् जो भी निर्धारित रुट से आगे गए वह इस सरकार की कूटनैतिक मंशा के तहत ही गए थे| बाद में इनकी वह मंशा पकड़ी भी गई थी|

वैसे जरूरत पड़ने पर यह अपने हिसाब से किसान हितैषी भी उतारेंगे इनके मध्य से ही, क्रेडिट लेने हेतु कि देखो जीत हुई तो हमारी वजह से ही हुई| ठीक वैसे ही जैसे सुप्रीम कोर्ट में खापों के केस में जब खाप चौधरियों की दलीलों के आगे सुप्रीम कोर्ट के जज तक पस्त हो गए और लगा कि यह तो केस जीत जाएंगे (क्योंकि मीडिया ट्रायल्स व् बदनामी के प्रोपगंडा से बनाए माहौल से केस नहीं जीते जाया करते) तो इनके अपने बीच से ही एक रिटायर्ड आर्मी पर्सनल उतारा गया था| ताकि यह दिखे कि हम तो इस लड़ाई में आपके साथ थे व् जीत का कुछ क्रेडिट इनके बाँटें भी आवे वरना केस हार जाते तो खापों के सर्वनाश की सबसे बड़ी होली यही जलाते; वह भी खापों को अपने ही तथाकथित धर्म का बताने के बावजूद| शुरू के लगभग 3 साल जब इस केस की मुख्य लड़ाई लड़ी गई थी, तब कहीं नहीं दिखे थे ये; अपितु बाट जोह रहे थे कि दिखां हार ही जाएँ केस|

बाद में इस पंचायती को मैंने बहुत अच्छे से ऐसे मैटर्स पर चेक किया कि यह कितना बड़ा पंचायती है| 2 मामले ऐसे थे जिनमें एक पार्टी इस पंचायती की बिरादरी की थी, परन्तु दोनों में फैसले करवाने से टरका गया|

खैर, इसको बोलते हैं अपनी अगली पीढ़ी की इनके अनुसार इनके लिए गैर-जरूरी लोगों से मानसिक बाड़ करना| आप भी कर लो अपनी पीढ़ी की इन फंडियों से बाड़; बाड़ का जवाब बाड़ से दो!

जय यौद्धेय! - फूल मलिक



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