Wednesday, 1 September 2021

2013 के मुज़फ्फरनगर दंगे, बीजेपी की देन! - चौधरी नरेश टिकैत

इसको कहते हैं, "सामने से बोल के लेना"|

बीजेपी-आरएसएस 9 महीने लम्बा किसानों को दिल्ली बॉर्डर्स पर बैठा कर यह सोच रही है कि हम इनके मनोबल को तो तोड़ ही रहे हैं साथ ही 35 बनाम 1 की खाई भी बरकरार रख पाएंगे, ऐसी संभावना मान रहे हैं|
परन्तु शायद इनको इस बात का पता ही नहीं कि "गॉड-गिफ्टेड लठ की ताकत रखने वाला किसान, अबकी बार लठ से पहले तुम्हें कूटनीति से मार रहा है"| आज वाला चौधरी नरेश टिकैत का ब्यान इसी बात की बानगी है| वो समझ चुका है पहले इन फंडियों को लोगों के दिमाग से निकालो|
सरदार बलबीर सिंह राजेवाल जी कि "अहिंसा से आंदोलन चलाने की अपील" की गाँठ बांधे, किसान अबकी बार इनको लठ से पहले कूटनैतिक मार रहा है; वरना कोई उम्मीद भी नहीं कर सकता था कि चौधरी नरेश टिकैत ऐसा ब्यान दे देंगे| और ऐसा मुंह पे "हकीकत का रैह्पटा" सा मारने का ब्यान भी कोई इस आंदोलन का आग्गु ही दे सकता था| और कमाल देखें, अभी तक कोई इसका प्रतिउत्तर भी नहीं दे पाया है|
जितना बीजेपी-आरएसएस इस मैटर को लटकायेगी, उतनी ओबीसी, दलित, व्यापारिक बिरादरियों (खासकर छोटे से ले मध्यम व्यापारी) को भी समझ आती जाएगी कि नफरतों व् द्वेषों के आधार पर 35 बनाम 1 टाइप के फंडियों के खड़े किये दर्रे उनका कितना भयंकर स्तर का आर्थिक से ले कल्चरल नुकसान कर रहे हैं| इसलिए इन कृत्रिम दर्रों को छोड़ किसानों-मजदूरों के साथ लगो, क्योंकि यह लड़ाई सिर्फ इनकी नहीं आपकी भी लड़ रहे हैं|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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