चारों सलंगित फोटो में जो आप देख रहे हैं यह बाबा जी कमरा है, इससे जुडी ख़ास बातें जानते हैं|
1) अमरज्योत: इसमें जो "भूमिया खेड़ों", "दादा नगर खेड़ों" की भांति "ज्योत" जल रही है यह सन 1987 से अनवरत जलाई जाती है| सिसौली में जो बाबा के घर आता है, इस ज्योत के बराबर में रखी, स्टील की टंकी से घी की एक चमच ले कर श्रद्धावश ज्योत में डालता है| कई तो घी भी साथ ही ले आते हैं|
2) मात्र बाबा की फोटो: इस कमरे के अंदर सिवाए बाबा की एक फोटो के कोई अन्य फोटो नहीं है| यानि शुद्ध "किसानी धर्म" को समर्पित कमरा है; तमाम तरह के फंड-पाखंड, फंडियों के कॉन्सेप्ट्स से दूर| और कोई भी शक्ति इसमें सुप्रीम नहीं है, सिर्फ बाबा यानि म्हारा पुरख सुप्रीम है|
3) हर रोज बाबा को आंदोलन की रिपोर्टिंग की जाती है इस कमरे में बैठ|
4) बाबा का हुक्का व् बिस्तर: हुक्का हर रोज तरोताजा किया जाता है, बिस्तर हर रोज बदला जाता है|
5) चौधरी राकेश टिकैत के छोटे भाई चौधरी नरेंद्र टिकैत (फोटो में) कहते हैं कि 28 जनवरी की शाम ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर राकेश के मुंह से जो शब्द निकले थे; वह हमारे इन पुरख बाबा की आवाज थी, इनका संदेश था| इस स्तर तक बाबा आज भी हम से जुड़े हुए हैं|
"उज़मा बैठक" भी यही कहती है, चाहे जिस किसी को मानो; परन्तु इस कमरे की भांति अपनी शुद्ध जमींदारी की मान-मान्यताओं जैसे कि खेड़े-खाप-खेत को शुद्धतम इन्हीं पर रखो| जहाँ कहीं मिक्स होना है वहां होवो बेशक, परन्तु जब बात अपने आध्यात्म की हो, सभ्यता-कल्चर की हो तो वह शुद्धतम रखा जाए; जैसे कि म्हारे दादा नगर खेड़े, भूमिया खेड़े, लोकगीत, मान-मान्यता आदि|
No comments:
Post a Comment