Friday, 10 September 2021

जब किसान आंदोलन को अहिंसक रह कर ही चलाने की ठानी हुई है तो "आर्थिक असहयोग" भी तो अहिंसक तरीका ही है; इसको भी आजमा लिया जाए!

लगता है फंडियों की सरकार यह जो हद दर्जे की बेशर्मी दिखा रही है कि करनाल SDM के खिलाफ वीडियो में सबूत होने पर भी उसको ससपेंड नहीं कर रही; जबकि बंगाल में एक विवाह में covid गाइडलाइन्स पालन ना करने पर एक पुजारी को थप्पड़ मारने के वीडियो के आधार पर उस DM को ही ससपेंड कर दिया था तो इसका क्या संदेश लिया जाए?


संदेश साफ़ है कि अहिंसक रास्ते के अगले स्तर पर बढ़ा जाए| और अगला स्तर है "आर्थिक असहयोग"; जिसके लिए लगभग जनता तैयार खड़ी है अगर किसान संयुक्त मोर्चा इस तरीके की तैयारी करके इसका आह्वान कर दे, तो SDM तो क्या यह तो DC से ले CM तक को ससपेंड करेंगे| कैसी तैयारी:

जल्द-से-जल्द मान लो आज ही कॉल दी जाए कि करनाल एपिसोड पर सरकार के रूख को देखते हुए हम कॉल देते हैं कि, "2 हफ्ते बाद" न्यूनतम 3 महीने के लिए "सम्पूर्ण आर्थिक असहयोग" की कॉल दी जायेगी| तब तक इन 2 हफ्तों में हर किसान यूनियन अपने जिला-ब्लॉक-गाम स्तर पर इस आर्थिक असहयोग को चलाने के तरीके का किसानों-मजदूरों-छोटे व्यापारियों में इस प्रकार प्रचार करेगी:

"खाने-पीने के सामान को छोड़ कर और क्योंकि छोटा व् मंझला व्यापारी किसान आंदोलन का साथ दे रहा है व् यह व्यापारी 95% 25000 रूपये से कम के सामान में डील करता है; इसलिए 25000 रूपये से ऊपर का खाने-पीने के सामान को छोड़कर कोई भी सामान नहीं खरीदा जाएगा| शुरू में 3 महीने के लिए इसको चलाया जाएगा व् जरूरत लगी तो इसको एक्सटेंड किया जाएगा|"

इससे किसानों को आर्थिक लाभ से ले हर तरह के लाभ होंगे| क्योंकि "आर्थिक असहयोग" घरों, धरनों पर बैठ कर चलाना है जिसमें ना यह रोज-रोज कभी जिंद, कभी हिसार, कभी टोहाना, कभी रोहतक तो अब करनाल भागने के झंझट होंगे; ना इनमें लोगों की आर्थिक, शारीरिक व् मानसिक ऊर्जा व्यय होगी| आंदोलन की मानसिक ऊर्जा व् प्रेरणा कायम रहेगी|

यह करना इसलिए भी जरूरी हो रहा है क्योंकि फंडी सरकार, अब इस किसान आंदोलन में अमानवीय स्तर से भी पार जा कर जो जुल्म करने के रास्ते अख्तियार कर रही है इसको यह अब 35 बनाम 1 की इनकी नफरत-हेय की राजनीति को जिन्दा रखने की कवायद की तरह देखने लगे हैं| इनका मानना है कि 1 के खिलाफ निर्मम दिख कर हम 35 को अपने लिए मजबूत वोट में बदलते जाएंगे, खासकर हरयाणा में| हालाँकि इनको एक SDM को ससपेंड नहीं करने का साहस व् यह जुल्म करने का साहस इस बात से आ रहा है कि किसानों ने "अहिंसक" रहने की शपथ सी उठाई हुई है| तो ऐसे में यह लठ तो उठाएंगे नहीं तो 35 में 1 के प्रति निर्मम बन के अपनी हीरोगिरी चमका लो|

ऊपर से सितम यह है कि 35 में जो भी इनके प्रभाव में हैं वह यह भी नहीं देख रहे कि किसान सिर्फ उनके लिए नहीं लड़ रहे हैं अपितु तुम्हारे लिए भी लड़ रहे हैं| यह उल्टी मति कहिये या दूसरे के नुकसान में ख़ुशी देखने की पिछड़ेपन की सोच; परन्तु यह चर्चा है धरातल पर|

अत: अगर किसान संयुक्त मोर्चा चाहता है कि यह सरकार आपकी बातों पर एक्शन लेवे तो अब वहां चोट कीजिए जहाँ इनको सबसे ज्यादा दर्द होता है यानि "नोट की चोट" यानि "आर्थिक असहयोग"| "वोट की चोट" का रास्ता बहुत लम्बा भी है और अपेक्षित रिजल्ट्स देने में हरयाणा जैसी जगह में तो शायद ही कारगर साबित होवे| आप कितना ही शारीरिक कष्ट उठा कर "सत्याग्रह" करते रहिएगा यह फंडी लोग फिर भी लोगों के दिल आपके प्रति ना पसीजें इसके लिए दिनरात अनवरत काम पर हैं| तो ऐसे में लाजिमी है कि "आर्थिक असहयोग" की कॉल हो| इसके लिए हमारे जैसे आपके बालकों का जो भी सहयोग चाहिए हम आपके साथ हैं|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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