या तो दलित-ओबीसी के ऊपर छूत-अछूत, स्वर्ण-शूद्र, वर्ण की ऊंच-नीचता के नाम पर फंडी द्वारा किये जा रहे जुल्मों-भेदभावों को गाम गेल उठा के इनको फंडियों के जुल्मों से छुटकारा दिलवाओ, नहीं तो यह फंडी तुमसे पहले, तुम्हारे दलित-ओबीसी के साथ झगड़े लगवा तुम्हें यूं ही isolate राखेँगे| चॉइस थारी, थम इनको isolate कर दो या खुद को isolate करवाए रखो इनसे|
दलित-ओबीसी से थारा कारोबारी रिश्ता है यानि आपस में काम के बदले दाम-दिहाड़ी लेते-देते हो; और 99% थारे आपसी झगड़े व् मनमुटाव भी कारोबारी ही होते हैं| जबकि फंडी का दलित-ओबीसी से सिर्फ दान-चढ़ावा लेने का रिश्ता है बदले में देता है तो छूत-अछूत, स्वर्ण-शूद्र, वर्ण की ऊंच-नीचता के तमगे| अगर फंडी थारे कारोबारी रिस्तों की खटास को इतनी चौड़ी खाई बना देता है तो थम तो फंडी को इससे कहीं ज्यादा सहजता से अपने व् दलित-ओबीसी के बीच से निकाल बाहर फेंक सकते हो|
यह तरीका ना सिर्फ आपको दलित-ओबीसी के और नजदीक ले जाएगा अपितु सामाजिक-राजनैतिक-आर्थिक तमाम तरह के फायदे आपकी तरफ मोड़ेगा| तो उठा दो गाम गेल फंडी द्वारा दलित-ओबीसी पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज| अत्याचार क्या, किस तरीके का हो रहा है उसका आईडिया नहीं है तो मुझसे कांटेक्ट कर लो; इनके तो इतने अत्याचार हैं कि फंडियों को इतना उलझा सकते हो कि इनको गाम-गेल सांस नहीं आने का यह सोचते हुए कि यह क्या बन रही है थारी गेल| जिनको इतनी फुरसत, थारी निष्क्रियता ने दे रखी है कि वो तुमसे ही दान पा के तुमको ही isolate करवाते हैं; यह तरीका अपनाने के बाद जो इनसे इनकी isolation टूट पाए तो मुझे कहना|
पर इसके लिए थमनें, ग्रामीण-शहरी-एनआरआई तीनों स्तर पर आपस में सर भी जोड़ने होंगे व् अपनी महिला शक्ति को भी इसमें सहयोगी बनाना होगा|
जय यौधेय! - फूल मलिक
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