"Decoding the 35 vs. 1" Series - 1, Chapter - 1
5 दिन पहले की मेरी पोस्ट में मैंने जिक्र किया था कि 3 दलित भाईयों ने मुझे बताया कि "दलितों को फंडियों ने नीचे-नीचे यह बात बोल के जाट के ज्यादा खिलाफ किया हुआ है कि जमीनें तुम्हारी क्यों नहीं हो सकती; या आज तक तुम्हारी क्यों नहीं होने दी; पीढ़ी-दर-पीढ़ी यह जाट ही क्यों जमीनों के मालिक बने हुए आ रहे हैं| उन्होंने बताया कि इस पर नमक-मिर्ची यह लगाई जा रही है कि तुम्हारे पुरखों से यह जमीनें छीनी जाटों ने व् तुम्हें कभी उभरने नहीं दिया?
मैंने इन भाईयों को यूँ जवाब दे कर बात समझाई व् जाट समाज की उदारवादिता से परिचित करवाया| पार्ट 1 में सिर्फ सर छोटूराम ने क्या-क्या दिया ला रहा हूँ| पार्ट 2 में सन 1595 में लिखी गई "आइन-ए-अकबरी" पुस्तक में जाट-जमींदार बारे लिखित बातों से ले 1930 तक के दस्तावेजी तथ्य लाऊंगा; व् पार्ट-3 में 1947 की आज़ादी से आज तक के; ताकि फंडी के बनाए इस 35 बनाम 1 के जिंक को तोड़ने बारे भूमिका बंधे| तो पेश है पार्ट-1:
11 ऐसे कानून-अधिकार जो बाबा आंबेडकर से भी 12-14 साल पहले दलित-ओबीसी के हक में सर छोटूराम ने यूनाइटेड पंजाब में बना के लागू कर दिए थे:
वह दलित-ओबीसी भाई इस पर जरूर गौर फरमाएं जो फंडियों के झांसे में आ जाट के प्रति विरोध को बहुतेरी बार अंधविरोध तक ले जाते हैं| हो सकता है कि आपने यह तो सुना हो कि सर छोटूराम ने किसानों के लिए ताबड़तोड़ बहुतेरे कानून बनाए, भाखड़ा बाँध बनाया आदि; परन्तु दलित-ओबीसी के लिए भी बाबा आंबेडकर से भी 12-14 साल पहले इतना ज्यादा कर रखा है कि आप पढोगे तो आपको समझ आएगी कि जाटों बारे आपका गुस्सा कितना जायज है व् कितना नाजायज है| नीचे पढ़ें कि देश का सविंधान तो 26 जनवरी 1950 को कानून-रूप लेता है परन्तु यह 11 कानून 1936 से ले 1940 के बीच तब के यूनाइटेड पंजाब में कानून रूप ले चुके थे:
आधा-दर्जन कानून तो एकमुश्त 11/06/1940 को लागू किए गए, "Professional Labour Act" के तहत| और भारत में मजदूर के हक में (जो कि 90-95% दलित-ओबीसी क्लासों के होते आए) यह सब पहली बार सर छोटूराम ने अपनी स्टेट में लागू किए, जो कि निम्नलिखित थे:
1. सभी वर्किंग सेक्टर्स में Bonded Labour यानि बेगार प्रतिबंधित की गई|
2. Child labour below 14 years age प्रतिबंधित व् आपराधिक घोषित की गई|
3. First time in India working hours were fixed to 61 hrs a week, 11 hrs a day, 14 leaves per year; इससे पहले दिन-रात खटना पड़ता था; जैसे अब की वर्तमान सरकार ने फिर से ऐसी ही स्थिति ला दी है; 8 घंटे प्रतिदिन हटा के 12 घंटे तो कर ही दिया है; एक बार और सरकार आने दो 12 की भी हटाई जाएगी|
4. Sunday work off - कॉर्पोरेट व् दुकानों में इतवार ऑफ का कानून लाया गया ताकि मजदूर एक दिन सुकून का परिवार के साथ बिता सके|
5. छोटी सी गलती पर भी व्यापारी-दुकानदार तनख्वाह में कटौती मार लेता था, इस कटौती को "Auditing of salary deduction on every dollish mistake" के तहत auditable बनाया व् इस तरह मजदूरों पर व्यापारी-दुकानदार की मनमानी पर रोक लगाई|
6. पंचायती चुनावों में दलित-अछूतों को वोटिंग राइट दिया गया|
7. पंजाब के अछूतों को राजकीय नौकरियों में 5% आरक्षण दिया|
8. मुंशी व् जेलदार की पोस्टों पर विशेष आरक्षण दलितों को दिया गया|
9. 1938 में कृषि योग्य खाली पड़ी भूमि को दलितों में आवंटित करवाया| Biggest example was of Multan where 454625 acres of land was given on rate of Rs. 3 per acre on an interest rate of 25 paisa per year to be payable up to 12 years. Dalits rendered him the title of "Deenbandhu" on it.
10. वर्णवादी फंडियों के बहकावे में आ जिधर भी दलितों-अछूतों के अलग कुँए रखे जाते थे या कुँए खोदने ही नहीं दिए जाते थे; वहीँ सर छोटूराम के निर्देश पर भक्त फूल सिंह मलिक (खानपुर वीमेन यूनिवर्सिटी जिनके नाम पर है) ने गामों में दलितों के लिए कुँए खुदवाए| इसमें मोठ-लुहारी में कुआँ खुदवाने का किस्सा सबसे मशहूर है|
11. 1936 Mansukhi Bill: अंग्रेजों ने सैनी-खाती-छिम्बी जातियों (कुछ और भी जातियां थी इस लिस्ट में) को किसानी स्टेटस नहीं माना था, जो सर छोटूराम ने इस बिल के तहत दिया|
इस लेख से दलित भाइयों के, दो जवाब निकल के आते हैं: अब बताइए जो अपनी चलती में लाखों एकड़ की संख्या में दलितों को जमीनें बांटते थे, वह उनसे छीनने वाले कैसे हो जाएंगे; जैसा कि फंडी दलितों को भरमा रहा है? जो ओबीसी में आने वाली अपनी साथी जातियों को भी अंग्रेजों से लड़ के "किसानी स्टेटस" दिलाते थे; क्या वो दूसरों से छीन के जमीनें बनाएंगे?
तो जो भी वर्णवाद व् मिथकों से रहित दलित, ओबीसी व् जाट है; वह इन तथ्यों को 24 नवंबर 2021 सर छोटूराम के जन्मदिन तक सोशल मीडिया पर फ्लोट करके रखे| पूरी पोस्ट नहीं तो चाहे बेशक 11 कानूनी बिंदुओं को ही डालें; परन्तु इसको इतना जरूर फैलाएं कि अधिकतम दलित-ओबीसी तक यह बिंदु पहुंचें; तभी 35 बनाम 1 का आग्गा ले पाएंगे|
फंडियों का साइकोलॉजिकल वर्ड्स वॉर गेम (Psychologiccal Words War Game) ऐसी ही पोस्टें तोड़ पाएंगी| मैं इस जिंक को तोड़ने पर लग चुका हूँ; आप भी अपनी आहुति देवें|
जय यौधेय! - फूल मलिक
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