अंतर्राष्ट्रीय जाट दिवस पर विशेष!
यूनिटेड पंजाब में यूनियनिस्ट पार्टी के राज का दौर, उसके बाद हरित क्रांति, फिर श्वेत क्रांति व् दोनों में तथाकथित बड़ी औद्योगिक क्रांति का तड़का लगा तो, रूस से ट्रेक्टर आने लगे| इस बड़ी क्रांति ने गाम के ख़ातियों-बढ़इयों का बुग्गी-रेहड़ू-गाडी बनाने का व् लोहारों का कृषि के औजार बनाने का औद्योगिक काम; ट्रॉलीयां व् खेती के औजार बनाने के जरिए, ख़ातियों-लोहारों से छिन शहरों में शिफ्ट हो गया| इन आत्मनिर्भर छोटे उधोगों को खत्म करने पर किसी सरकार, किसी नेता ने जो कभी आजतक आवाज भी उठाई हो तो; बेशक खाती-लुहार के घर-के-घर तबाह हो गए हों|
खैर, तब व् आज भी ट्राली जब बनती है तो उसके फर्श में 16 फ़ीट लम्बी मोटी लोहे की चद्दर, दोहरी करके लगती है; दोहरी करने पर वह 8 फुट की रह जाती है| तो इसी से सेठ लोग हंसी उड़ाने लगे कि देखियो इब जाट आवैगा और 16*2 = 8 फ़ीट वाली चददर ट्रॉली में लगाने को कहेगा|
बस इतना सा ही गणित है 16*2 = 8 का| और लॉजिकली यह हकीकत भी है| 16 फ़ीट लम्बी चददर को मोड़ के दोहरी मोटाई की करोगे तो लम्बाई 8 फ़ीट ही रहेगी उसकी|
खैर, यह जाट, बनियों के हंसी-ठट्ठों के तरीके हुआ करते थे| ऐसे ही बनियों की हंसी उड़ाने पर भी बहुतेरे किस्से हैं| परन्तु जनाब आज ऐसा उल्टा दौर है; एक आधी लिख दी तो कोई ना कोई बनिया मुझपे पंचायत बिठाएं मिलेगा|
जय यौधेय! - फूल मलिक
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