इसीलिए "गोल्डी बराड़" का जब नाम आया मुसेवाला की मौत में तो उसने तुरंत वीडियो जारी करके कहा कि इसमें उसका रोल नहीं है|
वह लोग इस बात पर ध्यान दें, जो यह सोच के हताश हुए जाते हैं कि जट्ट, जट्ट को मार रहा है| मेरे ख्याल से किसान आंदोलन ने इतनी शिक्षा कूट-कूट के भर दी है कि अपने को मारने को अपना ही हथियार नहीं बनेगा| जाट-जट्ट तो क्या किसी भी जाति का किसान ऐसा ना करे|
हाँ, सरकारी तंत्र में किसी अफसर आदि या सीएम तक पे जिम्मेदारी धर के इसको जट्ट बनाम जट्ट रंग देना बहुत बड़ी नादानी व् जल्दबाजी दोनों हो सकती है| इस बात का शुकून लो कि जाट-जट्ट एक चल रहा है|
व् तमाम बिरादरियों के किसान की हर स्तर के फील्ड की औलाद इस बात की अहमियत को समझे| भाई पैसा कहीं और से भी कमा लोगे, किसी और की सुपारी ले के भी कमा लोगे; परन्तु उनकी सुपारी मत लो, जो इस किसान आंदोलन की जड़ हैं/थे| और अगर ऐसा कुछ करना भी पड़े तो ज्योना जट्ट, लजवाणिया दादा भूरा व् दादा निंघहिया की भांति करो; रॉबिनहुड की भांति करो|
जय यौधेय! - फूल मलिक
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