Saturday, 18 June 2022

सालाना 48000 कुंवारे राष्ट्रीय स्तर पर व् 4800 कुंवारे अकेले हरयाणा स्तर पर बढ़ाया करेगी "अग्निवीर" योजना!

तथ्यात्मक बात से शुरू करते हैं: "अग्निवीर" के बाद रेगुलर व् ट्रेडिशनल रेजिमेंट्स (जैसे कि सिख-गोरखा-मराठा-जाट-राजपूत-ग्रेनेडियर्स-डोगरा रेजिमेंट्स आदि) में सैनिकों की भर्ती अब "अग्निवीर" से ही हुआ करेगी, जिसमें कि अग्निवीर पालिसी के तहत हर साल 25% को इसमें लिया जाएगा| औसतन हर साल 60000 भर्तियां इंडियन डिफेंस करती आई है| बस अब हुआ इतना करेगा कि 75% यानि 48000 की हर साल "अग्निवीर" पालिसी के तहत फ़ौज से छुट्टी होती रहा करेगी|

अब हकीकत देखते लेते हैं:
1) पहली बात तो जो अंधभक्तों के जरिए फैलवाई जा रही है कि जातीय नामों वाली रेजिमेंट्स खत्म हो रही हैं यानि यह लोग रेजिमेंट्स के नाम बदलने मात्र के जरिए ही तथाकथित जातिवाद खत्म करने जा रहे हैं (जो कि फ़ौज में ना तो लीगली मान्य व् ना ही कभी देखने को मिलता; कम से समाज में पाए जाने वाले वर्णवाद के स्तर का तो 1% भी नहीं), तो ऐसा फैलाने वाले लोग व् उनकी बहकाई में आने वाले लोग दोनों अपनी गलतफहमी दूर कर लें, कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है| कम से कम अभी तो नहीं| तो यह सिवाए इस बात का आनंद लेने से मतलब रखने वाले लोग कि, "हमारी दोनों आँखें भले फूटें, पर पडोसी की एक फूटनी चाहिए' अपनी यह आदत सुधार लें, क्योंकि दोहरा नुक्सान तुम्हारा हो रहा है, तुम्हारी अगली नस्लों का हो रहा है|
2) अग्निवीर की पॉलिसी को जितना बढ़ा-चढ़ा के यह सरकार परोस रही है, इससे बढ़िया भर्ती की सुविधाएं जवानों को ट्रेडिशनल रेगुलर भर्तियों में पहले से ही मिलती आ रही हैं (ज्यादा होगा 19-20 का हेरफेर होगा)| इसलिए थोड़ा सा तुलना करने का जोखिम उठाया करो, अग्निवीर में नया या चमत्कारी कुछ भी नहीं है|
3) अभी तक ट्रेडिशनल तरीके से रेगुलर फौजी की नौकरी औसतन 17 साल की होती थी| जब वह रिटायर होता था तो उसकी औसत तनख्वाह 60-70 हजार होती थी व् आजीवन पेंशन की सुरक्षा अलग से| और यही वह स्थाईत्व व् स्टैण्डर्ड देख के लोग, फौजियों को फ़ौज में लगने के 1 से 2 साल के भीतर ही अपनी बेटियां देने को एडवांस में ही बुक करना शुरू हो जाते थे व् अधिकतर की तो ट्रेनिंग पूरी होते ही शादी भी हो जाती रही है| यानि बंदा 20-21 की उम्र में स्थाई रोजगार व् शादी दोनों फ्रंट्स से सेटल व् संतुष्ट| देश व् देश के प्रति देशभक्ति, आदर व् प्यार में अंतहीन इजाफा अलग से| और जो रिटायरमेंट के बाद सिक्योरिटी गार्ड या कोई भी एडमिनिस्ट्रेशन की नौकरी, रिटायर्ड फौजी शौकिया तौर पर करते होते हैं, मारामारी में नहीं, वह पोस्ट-रिटायरमेंट सुरक्षा अलग से| 17 साल की सेविंग्स व् पेंशन के बैक-अप के चलते 70000 हजार से रिटायर हुए फौजी को एक 15000-20000 हजार रूपये की सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हुए इसीलिए फील नहीं होती यानि दिल-दिमाग की शांति के साथ यह नौकरी कर लेता है वो, अन्यथा 20000 में कौन खुश व् संतोष हो सकता है या घर व् जिंदगी चला सकता है?
अब क्या होगा?
1) 4 साल वाले को कोई छोरी नहीं देगा, अगर उसका 4 साल की नौकरी के अलावा कोई और बैक-अप जैसे कि जमीन या पुस्तैनी काम-धंधा या प्रॉपर्टी नहीं हुई तो| और हरयाणा-वेस्ट यूपी व् पंजाब में तो शादियों के दूल्हे चूज करने के स्टैण्डर्ड इतने हाई हैं कि न्यूनतम 90% अग्निवीर कुंवारे ही फिरेंगे यानि पहले से ही शादियों का संकट झेल रहे देश में सालाना 48000 कुंवारे राष्ट्रीय स्तर पर व् 4800 कुंवारे अकेले हरयाणा (10% फ़ौजी हैं हरयाणा से) स्तर पर बढ़ाया करेगी यह "अग्निवीर" योजना|
2) मानसिक दबाव से मानसिक व् शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ेंगे, अग्निवीरों के 4 साल बाद| ब्याह ना होने की वजह से घरों में क्लेश व् शांति भंग होंगी|
3) आज के दिन 40-50 साल के सिक्योरिटी गार्ड की भी अधिकतम तनख्वाह कितनी होती है, औसतन 20 हजार? यह बीस हजार तो वह 17 साल की फ़ौज की नौकरी करके आने के बाद भी कमा ही रहा होता है| परन्तु उन 17 सालों का खाता किधर रहा उसके पल्ले, जिसका बैक-अप उसको इतनी छोटी नौकरी करने को महसूस ही नहीं होने देता| यानि सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी जो अब तक एक्स्ट्रा इनकम का जरिया मानी गई, अग्निवीरों के लिए अब वह एक बाध्यता व् मजबूरी का मात्र सोर्स रहा जायेगा| तो एक ऐसी उम्र जब सबको ब्याह करके सेटल होना होता है, उस उम्र में अग्निवीर किन मानसिक, व् सामाजिक ट्रोमाओं से गुजरा करेंगे, इसपे सोचा कुछ अग्निवीर लांच करने वालों ने?
इसीलिए हो रहा है विरोध इस अग्निवीर का व् जम के विरोध करो इसका|
व्यापारियों के हजारों लाखों करोड़ों करोड़ NPA माफ़ करते वक्त या माल्या-चौकसियों व् मोदियों को हजारों करोड़ के घपले करवा के भगाते वक़्त यह चीजें नहीं दिखती होती हैं क्या कि इनको हद से ज्यादा फैवर करने से, देश के बाकी के सिस्टम्स चरमरा जायेंगे व् फौजों तक को सैलरी से ले पेंशन तक देने के लाले पड़ जायेंगे? बस यह किया-धरा व्यापारियों का है व् भुगतवाई अब फ़ौज जा रही है| आए बड़े फ़ौज में नए सुधार करने वाले| यह क्यों नहीं कहते कि सारा सिस्टम, सारा पैसा चटवा दिया अपने चहेते व्यापारियों को व् अब उनका खून चूसेंगे जो सबसे ईमानदार देशभक्त हैं?
यह है इनकी तथाकथित राष्ट्रभक्ति की नंगी सच्चाई| चाहिए तो थी फौजियों की अर्निंग कैपेसिटी बढ़ानी परन्तु यह सुधार के नाम पे उसको भी आधे से भी नीचे ला के छोड़ रहे हैं| मतलब दोहता यानि व्यापारी कुकर्म करो व् नानी यानि फ़ौज दंड भरो|
जय यौधेय! - फूल मलिक

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