Sunday, 12 June 2022

अपने कान व् जेहन दोनों को फंडियों की वाहियातों से बचा के रखिये!

विषय: पैगंबर मोहम्मद के ब्याह की जिरह व् तुम्हारी-हमारी मनोस्थिति|

पैगंबर मोहम्मद का ब्याह तो सदियों पहले हुआ था, तुम अपने दादा-दादी वाली पीढ़ी में ही झाँक लो ना; असल तो 80% नहीं तो न्यूनतम 50% यानि हर दो में से एक के दादा-दादी के ब्याह "पोतड़ों" या "परातों" में हुए ना मिलें तो?
दरअसल तुम में से जो भी इन संघी-फंडियों की तकियानूसी वाहियातों को अपने जेहन में जगह दे रहा है, उसका कॉमन सेंस, रेशनलिटी व् ह्यूमैनिटी इस कदर मर चुकी है कि तुम्हें वही बात दूसरों के यहाँ बीमारी लगती है जो रही तुम्हारे यहाँ भी है अगर इसको बीमारी ही मानने लगे हो तो जो फंडियों ने तुम्हारे कानों व् जेहन में फूंक देनी होती है|
मोहम्मद पैगंबर के ब्याह में कोई नया बिघन नहीं हुआ था, वही हुआ तो जो तुम्हारे दादा-दादियों के मामले में हुआ था| यानि दूध पीते की उम्र से ले 6-8-10 साल की छोरे-छोरी की शादी व् जब लड़की व्रजसला होती तो उसका मुकलावा या गौना| व् लड़की का व्रजसला होना गर्म-शरद इलाकों में अलग-अलग उम्र में होता है| शरद इलाकों में जहाँ यह उम्र 11-12 साल होती है वहीँ गर्म इलाकों में 9-10 साल|
नबी की बेगम 6 साल की थी जब उनका ब्याह हुआ परन्तु मुकलावा हुआ 9 साल की उम्र में वह भी लड़की की माँ के संदेशा पहुंचाने पे कि लड़की बालिग़ हो गई है, मुकलावा ले जाओ|
अभी 2006-07 तक जर्मनी-जापान जैसे ऐसे देश रहे हैं जिनमें लड़की की ब्याह की उम्र 13 साल रही है| कनाडा-ऑस्ट्रेलिया में तो आज भी 16 से 18 साल उम्र है|
और तुम बहस कर रहे हो न्यूनतम 1500 साल पहले की?
फिर भी इसको गंद ही मान रहे हो, फंडियों के कहने से तो जरा खुद की माइथोलॉजी में ही झाँक लो पहले? इनके यहाँ तो मान्यता होने पर ही खून में भी रिश्ते करते हैं, तुम्हारे वालों ने मान्यता के विरुद्ध जा के बेटियों तक से ब्याह रचाये हुए हैं व् फिर भी भगवान बनाये बैठे हो उनको?
"बैया, बंदर को सलाह दे और अपना ही घर तुड़वा ले" - इन व्यर्थ की बहसों में फंसे अनाड़ी लोगों को देख कर, यह तथ्यात्मक बातें करते हुए हमें तो यह लाइन तक याद हो आती है|
जय यौधेय! - फूल मलिक

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