Sunday, 12 June 2022

मुस्लिमों से बदतर ही व्यवहार रखते हो फंडियो तुम जाट-गुज्जर से!

कुछ एक दिनों पहले जैसे आगरा व् ताजमहल जाटों के नाम करने चले थे फंडी, ऐसे ही अरब से आये प्रेशर को डाइवर्ट करने को जाट व् गुज्जर के नाम से कुछ सोशल मीडिया हैंडल से नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्टें निकलवाई जा रही हैं| इनसे बच के दोनों ही| जैसे आगरा व् ताजमहल का मसला उल्टा इनके मुंह पे मारा था, ऐसे ही इसपे मारो| अपना-अपना काम करें जाट-गुज्जर, इनके तो हर दूसरे रोज के ड्रामे हैं ये| धर्म-वर्म का कोई मसला नहीं है इसमें सिवाए, व्यापार हथियाने के| अब पोस्टें निकालती फिर रही है कि शिवजी को बुरा-भला कह रहे थे, तो कोई बात नहीं हमारे धर्म के एक अकेले व् शिवजी के चेले, धरती को बार-बार धरती तथाकथित क्षत्रियों से खाली करने वाले ही काफी हैं, ऐसे लोगों से निबटने को; अभी भी जिन्दा बताये जाते हैं वो उनको चिट्ठी भिजवा दो|

या फिर जाट-गुज्जरों को बालकों को एनसीआर की MNCs में सबसे पहले नौकरियों में वरीयता दो, जिनको कि तुम भाषा व् जाति देखते ही सबसे पहले लिस्ट से काट देते हो| नौकरियों-रोजगारों-सम्मान की बात हो तो जाट-गुज्जर तुम्हारे सबसे बड़ी "NO" लिस्ट में व् वैसे तुम्हारे हागे हुए को साफ़ करने को तुम्हें जाट-गुज्जर चाहियें| वैसे भी जाट-गुज्जर दादा खेड़ों को मानने वाले लोग हैं, जो ना धर्म से नफरत करना सिखाते ना जाति से; हमारे लिए जितने तुम देश के नागरिक उतने ही मुस्लिम|

अत: खामखा बहाना बना रहे शिवजी की आड़ ले कर, पूरे 8 साल किसी को बात-बेबात डंडा करके रखोगे व् उनमें कोई एक आध वह भी गोदी मीडिया का पठाया हुआ कुछ उल्ट-सुलट फेंक गया तो इसपे जाट-गुज्जर तुम्हारे लिए मुस्लिमों को मारें? तब कहाँ जाते हैं जाट-गुज्जर तुम्हारे लिए, जब सम्राट भोजराज को व् पृथ्वीराज को गुज्जर बताना होता है या किसान आंदोलन पर इनको किसानी हक देने होते हैं या इनपे जब 35 बनाम 1 रचते हो? मुस्लिमों से बदतर ही व्यवहार रखते हो तुम जाट-गुज्जर से|

जय यौधेय! - फूल मलिक

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