इंडिया की पॉलिटिक्स दो तरीके की liasoning पर चलती है, एक इंटरनेशनल व् दूसरी इंटरनल|
इंडिया में international liasoning करने वाले आज़ादी से पहले मुख्यत: छह ग्रुप रहे हैं, जिनमें कि जैन ग्रुप (जैनियों का), हिन्दू महासभा ग्रुप (लिबरल ब्राह्मण-बनियों की लीडरशिप का), संघी ग्रुप (कंज़र्वेटिव ब्राह्मण-बनियों की लीडरशिप का), लेफ्ट ग्रुप, यूनियनिस्ट ग्रुप (खाप-खेड़े-खेतों की किनशिप वाली तमाम जाति-धर्मों का) व् मुस्लिम लीग ग्रुप होते थे| मुस्लिम ग्रुप आज़ादी के बाद बंटवारे के चलते बंट सा गया; यूनियनिस्ट ग्रुप, सर छोटूराम के बाद इसकी लिगेसी ढंग के हाथों में नहीं जाने के चलते लुप्तप्राय हो गया| संघी व् हिन्दू महासभा वाले धीरे-धीरे एक हो गए या ऊपरी तौर पर एक दिखते हैं| कुल मिला के आज के दिन international liasoning में जैनी व् संघी ही मुख्य दिखते हैं|
अब जब इस समीकरण को महाराष्ट्र के हिसाब से समझें तो एक पेंच और है| और वह है कायस्थों (ब्राह्मण से व्यापारी बना वर्ग) व् चितपावनी ब्राह्मणों की आपसी लड़ाई| बाल ठाकरे, कायस्थ हैं जबकि फडणवीस ग्रुप चितपावनी| यहाँ वह लोग ध्यान दें जिनको उनकी जाति या कौम के भीतर आपसी लड़ाई व् फूट से चिंता रहती है कि यह एक कब होंगे| रोळा एक होने का है ही नहीं, रोळा तो इस बात का है कि आप लोग आपस में एक कौम के आंतरिक लड़ते किसलिए हो, व्यक्तिगत सर ऊँचा रखने को या कौम का सर ऊँचा रखने को? खैर, महाराष्ट्र में जो भी हुआ परन्तु शारद पंवार नाम के मराठे का खौफ अभी भी कायम है, इसलिए बारहवीं पास फडणवीस को inter में दाखिला दिलवाया गया व् शिंदे एक मराठे को सीएम बनाया गया| एक हिसाब से मराठों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ क्योंकि उनको मराठा सीएम मिल गया| लेकिन इसमें जैनियों के जरिए यह फैसला हुआ है हमारे सूत्र बताते हैं|
जैनी व् संघियों में भी इंटरनल रस्साकसी है, जो सिर्फ उनको दिखेगी जो जैनियों को बारीकी से ऑब्ज़र्व कर रहे होंगे| आज का लब्बोलुआब यही है कि आज के दिन इंडियन पॉलिटिक्स में क्या होने वाला है उसके लिए संघी नहीं, बल्कि जैनियों की पॉलिटिक्स को समझिये| संघी, हरयाणवी भाषा में कहे जाने वाले "आडुओं" से ज्यादा कुछ नहीं| यह सिर्फ इमोशंस को एक्सप्लॉइट करना ज्यादा जानते हैं जबकि जैनी एक्सप्लोइटेड इमोशंस का अग्रिम इस्तेमाल जानते हैं| इसीलिए सारा संघ, मात्र 50 लाखी जैनी समुदाय के आगे कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं|
देखना यह योगी के पीएम बनने के सपने को भी 2024 आते-आते कैसे धराशायी करेंगे| अगला पीएम मोदी या शाह ही होना है या फिर कोई तीसरा ही चेहरा आएगा, योगी नहीं|
ऐसे में सर छोटूराम की आइडियोलॉजी वालों से अनुरोध है कि थारे उस पुरखे के खड़े किये उस इंटरनेशनल चैनल की कुछ सुध ले लो अगर कहीं अपना भी नाम चाहो तो; वरना करवाते रहना अपने साथ "बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना" वाली बार-बार|
जय यौधेय! - फूल मलिक
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