Wednesday, 8 June 2022

भक्तो, अरब देशों से आई रिएक्शन को, पुराने जमाने का मुगलिया हमला ही कहो!

ऐसा हमला जिसके होते ही फंडी सबसे पहले दुमदबा के भागते थे, छुपते फिरते थे, देश-जनता-धर्मभक्ति-राष्ट्रभक्ति सब को छोड़ मुगलों के ही दरबारी बनने दौड़ पड़ते थे| नूपुर शर्मा व् जिंदल पर हुई कार्यवाही हूबहू ऐसी ही है| बताओ पार्टी के ऑफिसियल राष्ट्रीय प्रवक्ताओं को "Fringe Element" बता के कट लेने में एक पल ना लगाया| यही हकीकत है इनकी धर्मभक्ति व् राष्ट्रभक्ति की; अब भी नहीं समझोगे तो शायद ही कभी समझ पाओ|
तब के जमाने में मैदानी युद्ध होते थे आज डिजिटल युद्ध हुआ है व् एक ही वार में फंडी सीधे बिलों में घुसा दिए| लेटर्स लिखवाए जा रहे हैं वह भी इंडिया के मुस्लिम इन्फ्लुएंसर्स से, अरब देशों को शांत करने के लिए; गज़ब|
जो लोग यह पूछते रहते हैं ना कि देश इतने साल गुलाम क्यों रहा? सटीक उदाहरण सामने है| यह फंडी, जब देश पे कोई हमला ना हो तो नकली धर्मवाद व् राष्ट्रवाद की चासनी में डुबो-डुबो देशवासियों को सुकून से रहने देते नहीं और हमला हो तो सबसे पहले मैदान से भाग खड़े होते हैं| जब लोग देखते हैं कि खापों ने मोहम्मद गौरी को मारा, महमूद ग़ज़नी से सोमनाथ का खजाना लूटा, अकबर, खिलजी, औरंगजेब, कुत्तुब्बुद्दीन सबसे लोहा लिया, अंग्रेजों तक को सबसे ज्यादा नाकों चने खापों ने चबवाये तो फिर भी देश इतनी सदियों तक गुलाम कैसे रहा; बस इस ताजा उदाहरण से समझ लो; यानि इन फंडियों के इन्हीं पल्ला झाड़ने वाले लच्छणों की वजह से| खापों, को ऐसे मौकों पर इन पर वोकल होने की जरूरत है कि जब देश में हमारे जैसों के बलिदानों से शांति स्थापित होती है तो तब तो हमें ही मीडिया ट्रायल्स करवा-करवा के बदनाम करके डाउन करने पर लगे रहते हो समाज में, व् अब जब खुद देश के सिस्टम-शांति का मलियामेट भी कर दिया व् सामने वाला सही में उग्र हुआ तो पल्ला झाड़ गए| संदेश साफ़ है, जैसे खापों के पुरखों ने अपना स्वछंद सिस्टम रखा फंडियों से अलग; वह कायम रखा जाए| वरना यह तो अपने ऑफिसियल प्रवक्ताओं तक को मिनट नहीं लगाते "Fringe Element" कहने में|

पैसे का पुजारी होना जरूरी है, वह होना भी चाहिए| और हम जानते हैं व्यापार पर लात लगी है तो तब सकपकाए हैं ये, परन्तु व्यापार के लिए एथिकल रास्ते भतेरे| इतना अनएथिकल हो कर भड़क लेने-देने की जरूरत ही नहीं| असल में रोळा, गोलवलकर की लिखी लाइन का है कि "देश के 1 प्रतिशत लोगों को सब धन सौंपवाओ, व् बाकियों को सिर्फ 2 जून की रोटी के लाले पड़ने पर लगाए रखो अगर लम्बा व् स्थाई राज चाहो" व् उसी चक्कर में गच्चे खाते आये हैं ये वह भी सदियों से और स्थाई राज इसीलिए हुए नहीं इनके|

विषय: मुझे मेरा देश जान से प्यारा है व् फंडी व् इनका फंड देश नहीं है; कहीं कोई चला आये पोस्ट पे बरगलाते हुए धर्मभक्ति व् राष्ट्रभक्ति के सर्टिफिकेट्स देने|
जय यौधेय! - फूल मलिक

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