किसानों व् गामों के बाळक इस पोस्ट को जरूर पढ़ें!
1) UNO से इंडिया को किसानों के नाम पर सालाना 1.5 लाख करोड़ रुपया Carbon Credit के नाम का मिलता है; और इस पूरे को सरकार ढकारती है या अपने अजीजों को जिमवाती है|
2) आपके गाम की जमीन पर से गुजरने वाले तमाम रोड़ों (स्टेट या नेशनल हाईवे) पर जो भी रोड टैक्स या टोल टैक्स कलेक्शन होता है, उसमें हर एक गाम का एक निर्धारित परसेंटेज टैक्स का हिस्सा उस गाम की हाईवे में जमीन की लम्बाई के अनुपात में सरकार को उस गाम की पंचायत को देना होता है| परन्तु नहीं दे रहे|
आईये पहले जानते हैं कि Carbon Credit क्या है: किसानी-खेती द्वारा जो हरयाली बनती है उससे सिर्फ फसल उत्पादन ही नहीं अपितु वातावरण में ऑक्सीजन जोड़ने का भी योगदान होता है जिससे कार्बोनडाइऑक्सइड कम होती है; इस प्रक्रिया को कार्बन क्रेडिट कहते हैं, यानि आपकी प्रोडक्शन ने वायु से कार्बन घटाने में कितना योगदान दिया, वह आपका कार्बन क्रेडिट होता है|
इस कार्बन क्रेडिट के लिए इंडिया को UNO की इससे संबंधित यूनिट से सालाना 1.5 लाख करोड़ रुपया मिलता है| और यह सारा का सारा रुपया सरकारें खुद जीमती हैं या अपने चहेतों को जिमाती हैं; किसानों को इससे एक दवन्नी भी नहीं दी जाती|
अत: किसान यूनियनों, खापों व् तमाम अन्य संगठनों को चाहिए कि इन दोनों बिंदुओं पर भी आवाज उठानी शुरू करें| ताकि सरकार को और भड़क हो व् उसको समझ आए कि MSP दे दो| सालाना डेड करोड़ कार्बन क्रेडिट का किसान को मिल जाए तो उल्टा सरकारें कर्जदार होंगी किसान की|
और हर ग्राम पंचायत से अनुरोध है, अभी की हैं या अभी जो नई चुनी जाने वाली हैं कि वह इन हाइवेज के टोल व् रोड़ टैक्स कलेक्शंस के क्लॉजो का अध्ययन करें अच्छे से व् टोल कंपनियों व् सरकारों को कानूनी हक से कहें कि हमारे गाम का टैक्स का हिस्सा हमें दिया जाए, ताकि गाम के विकास कार्यों में प्रयोग किया जा सके|
जय यौधेय! - फूल मलिक
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