Monday 26 September 2022

जब आडवाणी को धकेल मोदी पीएम फेस बन गए थे तब से ही जैनी/बनिया बनाम ब्राह्मण लड़ाई शुरू हो गई थी!

जिसका अंत मोदी से कदम-दर-कदम मात खाता संघ, मोहन भागवत के रूप में मस्जिद में सजदा करने तक पर आन डटा है, जो कि संघ के 97 साल के हो चले इतिहास में कभी नहीं हुआ!

संघ में छुपे रूप से जैनी रहते हैं, यह सबको विदित है! जैनी, ब्राह्मणों से कहीं बेहतर रणनीतिकार व् दूरदर्शी हैं!
भारत के भीतर की बात की जाए तो संघ में मोदी, जैन एजेंट रहे हैं व् अटल के बाद आडवाणी ब्राह्मण लॉबी के राजनैतिक चेहरे!
पीएम बनते ही आडवणी/जोशी को साइड करना, ब्राह्मणों के अहम् को अगला बड़ा झटका दिया था मोदी ने! परन्तु तब उसको झेल गए क्योंकि बीजेपी पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ नई-नई सत्ता में आई थी! वह साइड करने का सिलसिला बढ़ता-बढ़ता जब गड़करी को भी निगल गया यानि संसदीय बोर्ड से बाहर किया तो संघी ब्राह्मणों को समझ आया कि पिछले आठ साल से तुम्हारे साथ कितना बड़ा खेला हो रहा है!
सूत्र बताते हैं कि इधर जैनियों के साथ बनिया लॉबी भी मिली और पक्ष-विपक्ष पूरा जैनी व् बनियों का करने का प्लान बना और इसी के तहत केजरीवाल को राष्ट्रीय चेहरा बनाने का प्लान उभरा!
बोले तो, मुंह पर पट्टी बांधे, चुपचाप से जैन समाज ने बीजेपी तो हाईजैक करी ही करी; संघ वालों को उनकी बुद्धि भी नपवा दी! कायल हूँ मैं जैन समाज का, जो इतना चुपके से खेलते हैं कि ब्राह्मणों के साथ "चोरों पे मोर" वाली कब बन जाती है; इनको तब समझ आती है जब 8 साल बाद गड़करी जैसा इनका अगला पीएम कैंडिडेट तैयार किया मोहरा, मोदी पल में "दूध में से मक्खी की भांति, निकाल बाहर फेंक देते हैं"!
इतना मजबूर वह भी इतना बड़ा आदमी यानि मोहन भागवत हुआ है, तो अंदर बहुत गहरे दर्द, बेबसी व् मायूसी छाई होगी, तभी गया है मस्जिद! हम तो यह मानते थे कि संघ के स्वयंसेवक तो संघ के लिए जान भी दे देंगे, परन्तु अब वही टिपिकल भारतीय राजनीति के लक्षण दिखने लगे जिनके चलते कोई तिलक ब्राह्मण, ग़ज़नवी के लिए सोमनाथ के दरवाजे खोल देता था, तो कोई राघव चेतन ब्राह्मण, खिलजी को चित्तोड़ बुला लाता था; अपने अपमान का बदला लेने को! लगता है मोहन भागवत को, मोदी से ऐसा ही अपमान महसूस करवाया है, वरना यह और मुस्लिम के दर पे चढ़ें, जमा नहीं! हम जैसे जाट तो फिर भी मुस्लिम भाईयों से मिलजुल के भी रह लें, सर छोटूराम की "धर्म से ऊपर खून" की राजनैतिक आइडियोलॉजी पे चलें; परन्तु यह लोग अगर ऐसा करते हैं तो समझो अंतिम ऑप्शन के तहत करते हैं! ब्राह्मण नाराज तो गहराई तक है मोदी से, जिसको हम जैसे भांप रहे हैं, बड़ी नजदीक से भांप रहे हैं!
सूत्र बताते हैं कि संघ का अगला भय, जैन धर्म के बड़े प्लान के तहत भारत में जैन धर्म के फैलाव का है; जो कि मोदी तीसरी बार आये तो जरूर से जरूर होगा! व् लोग जैन धर्म में ख़ुशी-ख़ुशी चले भी जायेंगे क्योंकि वहां स्वर्ण-शूद्र वाली अति नश्लवादी, अलगाववादी व् अपने धर्म का कह के अपमानित करने की जलील व् नीच सोच नहीं है; सब बराबर हैं!
तुम किसान-ओबीसी-एससी-एसटी वालो भारतीय राजनीति में आगे निकलना है तो एक तो ख़ामोशी से काम किया करो व् दूसरा जैन पॉलिटिक्स से नीचे कुछ मत पढ़ो! जैन को पढ़ लिया, समझो ब्राह्मण-बनिया-पारसी-यहूदी-वोहरा सबके ऊपर राजनैतिक कमांड वाली समझ पा ली!
विशेष: लेखक सभी जाति-बिरादरियों का आदर करता है, यहाँ इन सबका जिक्र भारतीय सामाजिक व् राजनैतिक पहलुओं को ज्यों-का-त्यों रखने मात्र से है!
जय यौधेय!

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