बर्राह गाम, जिला जिंद (जींद): मेरा गुहांड है जिसका नाम है "बर्राह", छोटी-बड्डी दो बर्राह हैं, जो कि हरयाणवी शब्द "बर्रा" से बना है, जिसका हरयाणवी में अर्थ होता है "गाम की बसासत के चारों ओर मिटटी से बनी वह किलानुमी ऊंची पाळ, जिस पर से वाहन तक चलने का रास्ता होता है"| इस पर से वाहन चल सकें जितना चौड़ा रास्ता इसलिए बनाया जाता है ताकि बर्रे की थोथ साथ-साथ दबती रहें व् जहाँ से कोई थोथ उभरे तो उनको साथ-की-साथ मरम्मत कर दी जाए व् अकस्मात आई बाढ़ के वक्त भी बर्रा मजबूत का मबजूत रहे| इसे भारी-से-भारी बाढ़ में भी बसासत को बाढ़ से मुक्त बनाये रखने का हमारे पुरखों का बंदोबस्त कहते हैं, इंजिनीरिंग कहते हैं| यह बर्रा खापलैंड के लगभग हर गाम के चारों ओर मिलता है|
अपने कल्चर के मूल्यांकन का अधिकार दूसरों को मत लेने दो अर्थात अपने आईडिया, अपनी सभ्यता और अपने कल्चर के खसम बनो, जमाई नहीं!
Sunday, 9 October 2022
हरयाणवी गाम 'बर्राह' व् 'खरक' के हरयाणवी भाषा में अर्थ!
खरक नाम के गाम, जो कि खापलैंड के लगभग हर जिले में मिलते हैं: खरक हरयाणवी भाषा के दो शब्दों से निकला हुआ है, एक है "खुराक" व् दूसरा है "खुरक"; यह नाम खुरक के ज्यादा नजदीक लगता है| खुरक का मतलब होता है "मरोड़" या कहिये "मसताई" यानि मस्ताना या सही दूसरा हरयाणवी पर्यायवाची शब्द इसका कहूं तो "हंगाई"| अक्सर ज्यादा मस्ती करने वाले बालक को हरयाणवी में कहते देते हैं कि, "रै के खुरक सै तेरै"|
अपनी हरयाणवी भाषा के इन शब्दों को सहेज के अगली पीढ़ी को पास करें, वरना नाम बदलने वाले ताक में बैठे हैं व् आपने यह जानकारियां पास नहीं की तो कौन क्या नाम बदल जाएगा या क्या कांसेप्ट जोड़ जाएगा आपके गाम के नाम के साथ आपको समझ नहीं आनी|
जय यौधेय! - फूल मलिक
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