Saturday, 26 November 2022

अंग्रेज, सन 1804 में जब भरतपुर जाट रियासत से 13 बार हारे तो इनके इतने मुरीद हुए कि इंग्लैंड में भरतपुर नाम से एक एस्टेट ही बना दिया!

और इधर इंडिया में पेशवों के कपूत अहिल्याबाई जैसे टीवी सीरियल्स में महाराजा सूरजमल को हरा के महान होने के सपनों में अपनी पीठ थपथपाना चाहते हैं|  ये ऐसे करेंगे अपने आपको विजयी; वह भी उनसे जिनके मुरीद अपने यहाँ वापस जा कर उनके नाम की ब्रांड से बिज़नेस खोल लिया करते थे| 


जानिये क्या है इंग्लैंड में भरतपुर रैनबसेरा, पब व् एस्टेट बनने का किस्सा:


पहले इस वेबसाइट के इस पेज पे जा कर खुद ही अंग्रेजी में पढ़ लीजिये: https://www.bhurtpore.co.uk/history


जिसका अंग्रेजी में हाथ तंग है वह यहाँ हिंदी में पढ़ लीजिये: 


जैसे कि इस पोस्ट के शीर्षक में बताया, भरतपुर सेना से 13 बार हार देख कर अंग्रेज इनके इतने मुरीद हुए कि इंग्लैंड के बिर्मिंघम में Aston जगह पर भरतपुर नाम से एक पूरी एस्टेट ही बसा दी। यह बात महाराजा सूरजमल जी के बेटे महाराजा रणजीत सिंह के समय की है जब अंग्रेजों ने भरतपुर पर आक्रमण किया था। अंग्रेजों ने एक एक करके पूरे 13 बार आक्रमण किये मगर अजेय लोहागढ़ किले को न भेद सके। इस युद्ध में उन्हें 13 बार हार का सामना करना पड़ा। अंग्रेजों की इतनी लाशें बिछी कि कहावत चली "लेडी अंग्रेजण, रोवैं कलकत्ते में"; क्योंकि भरतपुर से अंग्रेजों की लाशें जाने का सिलसिला थम ही नहीं रहा था| उस समय कहा जाता था कि अंग्रेजो का कभी सूर्यास्त नहीं होता लेकिन अंग्रेज खुद लिखते हैं कि हमारा सूर्य भरतपुर में अस्त हुआ था हम कभी इतनी बुरी तरह से नहीं हारे थे हमने अपनी ताकत का एक बहुत बड़ा हिस्सा भरतपुर में खपा दिया था।


एक यह भरतपुर वाले रणजीत सिंह व् एक पंजाब वाले शेरे-पंजाब रणजीत सिंह ही वह दो पुरख पुरोधे हैं जिनकी वीरताओं के हवालों से ही हमारे यहाँ ब्याह-शादियों में बान बैठते वक्त गाया जाता है, "बाज्या हे नगाड़ा म्हारे रणजीत का"; क्योंकि इनके नगाड़े बजे भारत में थे परन्तु खनक लन्दन तक हुई| और यह पेशवाओं के कपूत, इनको टीवी सीरियलों में हरा के ही अपनी खीज मिटाना चाहते हैं| 

 

खैर, तो आगे हुआ यह कि तब अंग्रेजों के अधिकारी भरतपुर के वीरों से बहुत प्रभावित हुए। और उन्होंने अपने देश जाकर भरतपुर नाम से अपने क्षेत्र का नाम रखा व एक भरतपुर एस्टेट बनाई जिसे आज उनके वंशज बिजनेश के रूप में प्रयोग करते हैं। यहां पर युद्ध के दौरान भरतपुर से चोरी की गई कुछ कीमती तोपें व वस्तुएं भी है जिसके कारण यह पर्यटन स्थल का भी रूप ले चुकी है। आज भरतपुर के नाम से 1804 युद्ध के कमांडरों के बच्चे बड़ी अच्छी कमाई करते हैं। सलंग्न में देखें उस एस्टेट के लोगो की तस्वीर| 


जय यौधेय! - फूल मलिक 





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