मंडी आदमपुर की अनाज मंडी में 2 जानकार हैं; दोनों ही बता रहे थे कि रूपये 1000-2000 के बदले वोट बेचने वाली गरीब जनता तो छोड़ो; इस बार तो मंडी के व्यापारियों से भी किसी को 1 लाख प्रति वोट दे के तो किसी को 2 लाख दे के वोट्स खरीदे गए हैं; यह आलम है सत्तारूढ़ियों के खिलाफ नाराज़गी का| उनका अंदाजा था कि अगर यूँ वोट खरीदने पड़े हैं तो अंदाजा लगा सकते हो कि कितने करोड़ तो अकेले वोट खरीदने में ही बँटे हैं, शायद सैंकड़ों करोड़ों में|
साथ ही बता रहे थे कि कहीं-कहीं अभी भी 35 बनाम 1 फैक्टर बाकी है| लेकिन किसान-मजदूर जातियों में किसानआंदोलन का असर बखूबी बरकरार चल रहा है व् वह लगभग बाहर आ चुके हैं फंडियों के फैलाये 35 बनाम 1 के जहर से| हाँ, शहरी तबकों में कुछ ख़ास प्रजाति अभी भी सोचती है कि इस फार्मूला में अभी भी रस बचा है!
लेकिन एक बात ख़ास देखी, कांग्रेस पहली बार बिना भजनलाल फैमिली के लड़ी व् 51000 वोट्स अकेले अपने दम पर ले गई| व् जीत का मार्जिन पिछली बार जहाँ 29000 हजार था इस बार लगभग आधा यानि 16000 ही रहा|
विशेष: 35 बनाम 1 के चक्कर में अभी भी जो पड़े हैं; उन पर काम करना होगा अगले डेड-दो साल! सीरी-साझी वर्किंग कल्चर के धोतक नैतिक पूंजीवाद वालों को मिल के प्रयास करने होंगे आपस में यह समझने-समझाने के कि इन फंडियों के नफरती, मैनीपुलेशन व् पोलराइजेशन के चक्कर में कब तक अपने घर-रोजगारों व् बच्चों की महंगी होती शिक्षा का धोणा धोवोगे! वैसे भी जिन 1 के खिलाफ यह चलाया गया था, वह तो 70 जुगत लगा के अपने बच्चों को सेट कर रहे हैं; अभी देखो जैसे कि यूक्रेन युद्ध के दौरान जब डॉक्टरी के इंडियन स्टूडेंट्स वहां से वापिस लाए गए तो उनमें हमारे एरिया वाले बच्चों में इन 1 वालों की संख्या का आधोआध का मामला था| व् ऐसे ही अब देख लो IELTS करके बाहर निकल रहे हैं, व् आने वाले वक्त में ऐसे ही अपने परिवारों को सपोर्ट करेंगे जैसे किसान आंदोलन में सिखों से ले हरयाणा-वेस्टर्न यूपी - राजस्थान समेत तमाम भारत के किसानों के बालकों ने किया! तो थम कित जा के लगोगे, सोचो; 2-4 साल बाद और कति कमर टूट लेगी तब सम्भलोगे क्या?
जय यौधेय! - फूल मलिक
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