पिछले हफ्ते मैंने ग्रुप में डाला था कि "प्रस्तावित ऑनलाइन हरयाणवी डिक्शनरी" लांच करने से पहले, हम इसके फोनेटिक्स पर काम चाहते हैं तो इसी सिलसिले में आज सर डॉक्टर रामफळ चहल जी से बातें हुई व् उन्होंने स्वर्गीय डॉ. जगदेव सिंह ढुल, गाम भगवतीपुर, रोहतक की लिखी "हरयाणवी की प्रस्तावित लिपि" की पुस्तक का कवर पेज शेयर किया| और बताया कि आज तक जितने भी कार्य इस दिशा में हुए हैं, यह उन सब में सबसे उत्तम है| व् इसको आधार बनाकर कर हम गौर-ए-काबिल आने वाले सुधारों के साथ इस काम को अंजाम दे सकते हैं|
इसमें अनूप लाठर सर के जरिये जुड़े पाकिस्तानी सोर्सेज बारे भी बात हुई कि वहां हरयाणवी लिपि का कार्य हमसे ज्यादा एडवांस स्टेज पर जा चुका है तो हमें उनके अपडेट्स समेत, एक साझा मंथन के तहत यह किया जायेगा तो ज्यादा बड़ा व्यापक व् सफल शुद्ध रूप इसी लिपि का निकल के आएगा| डॉ. संतराम देसवाल जी, हरविंद्र मलिक भाई साहब व् डॉ. महासिंह पूनिया जी से भी इस पर वार्ता हो चुकी है व् आप तीनों भी इस प्रोजेक्ट की "मींह ज्यूँ बाट देख रहे हैं"| एक तो बात हुई यह! लेकिन यह अहम की नहीं अपितु मर्म की बात है कि इंडिया साइड डॉ. जगदेव सिंह ढुल का इस क्षेत्र में कार्य, अब तक का सबसे उम्दा है|
दूसरी यह कि: सर ने बताया कि जयनारायण कौशिक जी ने एक हरयाणवी डिक्शनरी बना रखी है जिसमें कि करीब 5000 हरयाणवी शब्द हैं; जो कि 3000 के लगभग डॉ. चहल के खुद के दिए हुए हैं व् 2000 सर राजकिशन नैन जी के दिए हुए हैं| लेकिन इसमें त्रुटियां काफी हुई हैं व् हमारे दिए 2000 के करीब ठेठ हरयाणवी शब्द छोड़ दिए गए हैं| यह बात सच भी है, क्योंकि इसकी कॉपी अनिल राठी भाई, सुरेश देसवाल जी व् प्रोमिला चौधरी मैडम के जरिए मुझ तक आ चुकी है व् मैं सारी को खंगाल चुका हूँ और पाया है कि कौशिक जी ने करीब 500 शब्द तो माइथोलॉजी के नामों के इसमें चढ़ा रखे हैं; खैर इनको तो हम निकालेंगे ही या फिर रखेंगे तो "विदेशज केटेगरी" में रखेंगे| व् ऐसे ही अभी तक आई 2-4 अन्य हरयाणवी डिक्शनरियों का किस्सा है| इस पर हमारी दोनों की बातों से यह सुझाव निकल कर आया है कि क्यों ना इन मिसिंग 2000 शब्दों समेत और भी सम्भव शब्दों को संजोती लगभग 10000 शब्दों का टारगेट रखती हुई एक बड़ी हरयाणवी डिक्शनरी लाई जाए| इस पर फाइनेंस बारे, मैंने सर को प्रपोजल दे दिया है कि इस डिक्शनरी के पूरे फाइनेंस के लिए मैं अपनी "उज़मा बैठक" से प्रस्ताव पास करवा सकता हूँ; जिस पर मुझे आशा ही नहीं बल्कि विश्वास है कि उज़मा बैठक सहर्ष अपनी स्वीकृति दे देगी|
तीसरा, यह निर्धारित हुआ है कि मेरी अगली इंडिया विजिट पे, "हरयाणवी भाषा लिपि, फॉनेटिक्स, व्याकरण व् शब्दावली" पर एक वर्कशॉप आयोजित की जायेगी; जो कि जरूरत व् कंटेंट के अनुसार एक दिन, दो दिन, तीन दिन या जितना जरूरत पड़ेगी; उतने दिन की हो सकती है| साथ ही, आगामी खापरतों '28 फ़रवृर से 8 मार्च) में भी एक या दो दिन इसी विषय पर चर्चा करवाई जा सकती है; जिसके लिए हम देखेंगे कि पहले से निर्धारित कार्यक्रम में इसके लिए कितना स्कोप रहेगा या खापरतों के बाद इस पर स्पेशल ऑनलाइन चर्चा ऑर्गनाइज़ की जाए|
तो उज़मा के साथी, आप तैयार रहें; इन बिंदुओं के लिए व् इनमें यथासम्भव सहयोग करने के लिए भी|
जय यौधेय! - फूल मलिक
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