इस पर अब शायद ही कोई शंका हैं कि बिश्नोई पंथ के संस्थापक जांभोजी का जन्म जाट जनजाति में हुआ।
स्वयं वो बिश्नोई, जो यह मानते हैं कि जांभोजी पवार राजपूत थे, बताते हैं कि जांभोजी की बुआ का विवाह नानेऊ गांव के “महिपालजी ईसरवाल” जाट के साथ हुआ था। तो क्या पहले राजपूत अपनी बेटियों का विवाह जाटों से करते थे? क्या राजपूत इस बात को स्वीकार करते हैं?
बही-भाटों ने पवार जाटों को परमार राजपूत बना दिया और खिलेरी जाटों को भाटी राजपूत बना दिया। लेकिन यह सच्चाई हैं कि जांभोजी के ननिहाल वाले खिलेरी जाट थे, जो अब बिश्नोई पंथ में दीक्षित हैं।
Shivatva Beniwal
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