फंडियों का बचकानापन देखिये:
नमन प्रणाम आसन व् शशांक आसन, हिन्दू करे तो योगा;
और इन्हीं दोनों आसनों में मुस्लिम नमाज अदा करते वक्त होता है|
परन्तु स्वमहिमा में अंधे फंडी क्या बर्गलाएँगे, उसका क्या-क्या कह के मजाक बनाया जाता है कहने की जरूरत नहीं|
बर्गलाएँगे कि हम जो करते हैं वह योग है, तप है; परन्तु उसी को मुस्लिम करे तो उपहास उड़ाएंगे; जबकि मुस्लिम वाले में वह एक नहीं बल्कि दो कार्य सिद्धि एक साथ कर रहा होता है; एक तो अल्लाह को प्रार्थना व् दूसरा जो योग वाले के साथ कॉमन है यानि दिमाग में ब्लड-सर्कुलेशन बढ़ाना|
और जब इसको करने की बात आती है तो देखें कि किस धर्म वाले इसको करने में सबसे अधिक नियमित हैं? हर कोई कहेगा मुस्लिम| यह लोग रोज दिमाग में ब्लड-सर्कुलेशन कर लेते हैं व् योग वाले कितने % करते हैं; शायद कुल के 10% भी नहीं|
आज के मुस्लिम इसके पीछे क्या तर्क देते हैं, एक तर्क देते हैं या दोनों तर्क देते हैं; परन्तु यह माइंड में ब्लड-सर्कुलेशन सबसे नियमित करते हैं| इनके जिस भी पैगंबर ने यह तरीका इनको दिया, जब भी दिया कमाल का दिया है|
ऐसे ही इनका खतने का सिद्धांत है, इस पर फिर कभी लिखूंगा| और खतना भी सिर्फ मर्द का नहीं, औरत का भी| इसका भी खूब मजाक उड़ाते हैं लोग, परन्तु यह प्रैक्टिस कितने मानसिक-शारीरक-मनोवैज्ञानिक बल बढ़ाने के फायदे देती है; जानोगे तो हैरान रह जाओगे|
फ़िलहाल बात यह है कि कोई किसी का मजाक तभी उड़ाता है जब उसको सामने वाले से इन्फेरियरिटी काम्प्लेक्स हो; अब फंडी जब खुद योगा में यही करते हैं जो मुस्लिम नमाज में करते हैं तो फंडी ही क्यों नमाज की पोजीशन का मजाक करते पाए जाते हैं? मुस्लिम तो नहीं देखे कभी नमन योगा व् शशांक योगा पर उपहास करते। बस यही गंभीरता इनको विश्व में एज देती है|
बाकी कोई रोता-पीटता इस पोस्ट तक पे भी कुछ भी बकता रहे!
जय यौधेय! - फूल मलिक
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