Monday, 17 April 2023

अतीक अहमद के कत्ल ने मोदी की "पसमांदा मुस्लिम्स" को लुभाने की पॉलिटिक्स तहस-नहस कर दी है; साथ ही अखिलेश यादव से भी मुसलमानों का मोह भंग होता दिख रहा है!

विवेचना: क्या अब मुस्लिम "जय श्री राम" वालों की बजाए, "हे राम" या "हर-हर महादेव + अल्लाह-हू-अकबर" वाले अपने पुराने समीकरणों की तरफ तो नहीं मुड़ेगा?

अतीक अहमद व् उनका पूरा परवार "पसमांदा मुस्लिम" है वह यादव समुदाय से आते हैं| मोदी-शाह पिछले काफी महीनों से पसमांदाओं को बीजेपी में खींचने की क्या-क्या कैसी-कैसी कोशिशें कर रहे थे; इससे लगभग हर सोशल मीडिया वाला वाकिफ है|
अब यह लाइव-मर्डर का आईडिया जिस किसी का भी था, इससे बनिस्पद वकार अहमद, राष्ट्रीय महासचिव पसमांदा मुस्लिम बोर्ड "मोदी-शाह को तो इस फ्रंट पे तगड़ी मात मिली है| पसमांदा मुस्लिम समुदाय जो बीजेपी के साथ जाने का मन बनाने लगा था, इस तरीके के मर्डर से ठिठक गया है|" योगी को अभी चल रहे ओबीसी जनगणना व् एससी-एसटी मूवमेंट्स व् जागरूकता अभियानों व् उधर किसानों की सबसे बड़ी कम्युनिटी से आने वाले "पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक जी द्वारा इनके खोखले 'राष्ट्रवाद' यानि 'पुलवामा' एपिसोड से ले अडानी-माधव आदि की जो पोल कर्ण थापर के इंटरव्यू में खोली है (यह कम्युनिटी 'राष्ट्रवाद' के शब्द पे सबसे ज्यादा रीझने वालों में है; क्योंकि पुलिस-फ़ौज-खेत-खेल तमाम 'देशप्रेम' के सबसे बड़े फ़ील्ड्स में यह अग्रणी जानी जाती है) व् ऊपर से किसानों के MSP जैसे मुद्दों व् रोज-रोज अभी भी जारी आंदोलनों; इन सबके बीच बाबा का 80-20 भी कितना कामयाब होगा, शायद कर्नाटक-राजस्थान-मध्यप्रदेश के चुनाव बता दें|
अतीक अहमद मर्डर के बाद से मुस्लिमों में चौधरी चरण सिंह जी के दिए "मजगर" फार्मूला के जमानों से ले दिवंगत मुलायम सिंह यादव जी द्वारा "मजगर" को "यम" में तोडना; फिर मुज़फ्फरनगर 2013 दंगों में बीजेपी के साथ वोट बांटने की सपा की गुप्त डील यानि जाटों को बीजेपी ले लेगी व् मुस्लिमों को सपा (चर्चा है कि "पदम्-विभूषण" अवार्ड मुलायम जी को मरणोपरांत "मुज़फ्फरनगर 2013" में इनका साथ देने का पारितोषिक है वरना जिस वर्णवाद की चासनी से आज के सत्तारूढ़ लोग आते हैं, वह किसी पिछड़े समुदाय वाले को यूँ चुपचाप यह इस स्तर का अवार्ड दे दे, कैसे हो सकता है); व् अब अतीक अहमद कत्ल, सब कड़ियाँ जोड़ी जा रही हैं| इस सबके ऊपर 13 अप्रैल से यूट्यूब पर वायरल अतीक अहमद की पत्नी के भाषण ने इन कयासों को और तेज कर दिया है; जिसमें वह अखिलेश यादव को विश्वासघात टाइप का उल्हाना सा देती दिख रही हैं; उनके शब्दों से साफ़ झलक रहा है और वहीँ ओवैसी बैठे हैं| मुज़फ्फरनगर 2013 के लिए चुपचाप सहमति आज़म खान की भी चर्चित होने लगी है|
ऐसे में ईशारा साफ़ है कि बाबा ने बड़ा खेला कर दिया है अतीक अहमद, उनके बेटे व् भाई तीन-तीन कत्ल इस तरीके से होने दे के| यानि बाबा 80-20 तो चाहते ही हैं, उस पर वह यह भी चाहते हैं कि सपा का "यम" फार्मूला भी तहस-नहस कर दूँ व् यह होने के आसार बढ़ चुके हैं; इन तीन मर्डर्स के बाद से| अब मुस्लिम जरूर सपा से अन्य विकल्प को सीरियसली कंसीडर कर रहा है; यह इस समाज के चिंतकों व् प्रबुद्ध हस्तियों के वक्तयों में साफ़ देखा जा सकता है; वह ओवैसी पर जाएगा या ज्यादा दूर की सोचेगा यानि सत्ता तक में आने जितने की तो हो सकता है कि वह "मजगर" टाइप कोई ऑप्शन सोचे| किसान आंदोलन ने इसके इशारे भी दिए थे, जब सितंबर 2021 में मुज़फ्फरनगर की ही किसान महापंचायत में "अल्लाह-हू-अकबर" व् "हर-हर महादेव" के फिर से एक साथ नारे लगे थे| दूसरा मजबूत ऑप्शन "हे राम" वालों के साथ फिर से जा खड़े होने का बन सकता है| लेखक को लगता है कि "हे राम" वाले या "अल्लाह-हू-अकबर" व् "हर-हर महादेव" वाले जो भी इन ताजा बने हालातों में मुस्लिमों में जितना ज्यादा विश्वास बहाल कर सकेगा; मुस्लिम उसको कंसीडर करेगा|
जय यौधेय! - फूल मलिक

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