Tuesday 18 April 2023

सत्यपाल मलिक जी का इंटरव्यू, क्षत्रिय व् अवर्णीय का फर्क क्रिस्टल क्लियर कर देता है!

अवर्णीय यानि पांचवा वर्ण यानि जो ना स्वभाव से, ना कल्चर से, ना DNA से, ना किनशिप से चतुर्वर्णीय व्यवस्था में फिट बैठता और ना बैठा कभी| ऐसा व्यक्ति चतुर्वर्णियों के साथ काम कर भी लेगा तो उसका प्रोटोस्टेंट स्वभाव फायर-बैक करेगा-ही-करेगा| कर्ण थापर का इंटरव्यू इसकी बानगी है| J&K 370 हटना, UT बनना, सरकार भंग करना; सब वहां इनके कार्यकाल में हुआ व् इन्हीं को देश में Z सिक्योरिटी नहीं तो फिर कौन डिसर्व करता है? व् इसी से उनके आत्म-सम्मान को ठेंस लगी है व् उनका भय भी सच्चा है कि क्या मुझे यह लोग ऐसे मुफ्त में ही निबटाना चाहते हैं? जनता ने भी अब सुनी उनकी बात, वरना 2 बार टीवी पे तो वो 2019 में ही बोल चुके थे| खैर, बीजेपी ने इनके साथ जो व्यवहार किया व् उसपे जिस तरह से आरएसएस चुप है; इससे इतना तो है कि कोई भी सत्यपाल जी की बिरादरी का जो इनसे साथ जुड़ा है वह यह नहीं कह सकेगा कि हमें आरएसएस में यथोचित स्थान व् सम्मान दोनों हैं व् उसकी गारंटी भी है| 


इधर, अपमान व् डिग्रडेशन तो जो पहले गृहमंत्री थे फिर दूसरे नंबर से तीसरे पे डिफेंस में खिसका दिए गए; मोदी ने सरेआम कितनी बार उनका पब्लिकली अपमान भी किया तो भी वह एडजस्ट करके चलते आ रहे हैं| क्योंकि क्षत्रिय को चतुर्वर्णीय व्यवस्था में शिक्षा ही यह है कि चुप रहो| वीरता भी दिखानी है तो जब बोला जाए तब| 


तो यही है अवर्णीय व् क्षत्रिय का फर्क| नादाँ हैं यह "अवर्णीय" जो खामखा अपने DNA, किनशिप एथिक्स सब से लड़ते हैं व् ऐसी व्यवस्था में घुसने को आतुर हैं जो इनकी अंतरात्मा को स्वीकार हो ही नहीं सकती; हकीकत सामने आने पर वह ऐसे ही उबाल मारती है जैसे सत्यपाल मलिक जी की ने मारा| 


लोग कहते तो हमें भी है कि हम तो अपनी जॉब या बिज़नेस सिक्योरिटी के चलते इनमें शामिल होते हैं; इतना भर हो तो सही भी है परन्तु यह लोग इनका प्रचार, प्रसार व् आत्मसात करने तक पहुँच जाते हैं; जिसका सीधा-सीधा असर इनके बच्चों पर पड़ता है व् इसी को "शूद्रता" कहते हैं| 


जिनको शूद्र कहा गया है उनको भी इनके इस शब्द को ओढ़ने से बचना चाहिए; अन्यथा तो आप इसको ओढ़ के इनके इस शब्द को सत्य स्थापित करते हो; जो कि मानवता के ऊपर सबसे भीषण प्रहार है| 


जय यौधेय! - फूल मलिक 

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