Friday, 21 April 2023

आज "ईद-उल-फितर" के मौके पर आईए जानते हैं कि वेस्टर्न यूपी के मुस्लिम भारत-पाकिस्तान बंटवारे के वक्त पाकिस्तान ना जा के यहीं क्यों रह गए थे!

एक लाइन का जवाब है: सर्वखाप पंचायत के चौधरियों की वजह से| एक चींटी तक नहीं फटकने दी थी सर्वखाप ने इस हिंसा-हेय के नाम पर खापलैंड में, वेस्टर्न यूप में तो खासतौर से| 


आप जब खाप-पंचायतों का इतिहास पढ़ते हैं तो आपको 1947 में "कांधला सर्वखाप पंचायत" का चैप्टर मिलता है| हुआ यह था कि उस वक्त जब हिन्दू-मुस्लिम मारकाट चल रही थी व् दक्षिण से ले मध्योत्तर भारत से मुस्लिमों को पाकिस्तान जाने का रास्ता अधिकतर पंजाब बॉर्डर से था जहाँ से दोनों तरफ से धर्म-आधारित जनसंख्या के पलायन हो रहे थे व् देश के नए बॉर्डर की तरफ कई जगह भारी दंगे भड़क गए थे| और क्योंकि खाप-पंचायतें, हमेशा मानवता पर नश्लीय हेय व् हिंसक अति होने के विरुद्ध रही हैं; क्योंकि यह बसासत में गणतांत्रिक हैं व् न्याय यानि सोशल-सिक्योरिटी देने में लोकतान्त्रिक तो जब खाप चौधरियों ने यह देखा तो तुरंत "कांधला" में सर्वखाप पंचायत बुलाई गई और ऐलान हुआ कि खापलैंड से कोई पलायन नहीं होगा; जो जहाँ है वहीँ रहे| इसका वेस्टर्न यूपी में तो इतना जोरदार संदेश गया कि ना तो एक भी दंगा हुआ व् शायद ही कोई-कोई मुस्लिम पाकिस्तान गया इधर से| 


और यही वह गणतांत्रिक व् लोकतान्त्रिक सोशियोलॉजी थी, जिस पर तब के यूनाइटेड पंजाब में सर छोटूराम व् यमुनापार चौधरी चरण सिंह की धर्मरहित राजनीति इतनी परवान चढ़ी कि एक ने आज़ादी से पहले ही यूनाइटेड पंजाब पर 25 साल निरतंर राज किया व् दूसरा आज़ादी के बाद देश का प्रधानमंत्री बना| 


बंधे रहिए सभी धर्म व् जातियों के साथ, इस एकता व् पुरख-सोशियोलॉजी से व् इसकी प्रमोशन कीजिए! 


आप सभी को "ईद मुबारक"!


जय यौधेय! - फूल मलिक

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