आएं बेबे गीता, बागेश्वर धाम सरकार की पोस्ट में बस इतना-ए-जादू था ए, अक तू म्हारी लाडो अपने फील्ड यानि कुश्ती स्पोर्ट्स की शंकराचार्य अर तू आज जंतरमंतर पर भी ना जाण दी; बावजूद तू खुद एक पुलिस अधिकारी होने के, ए?
आएं बेबे बबीता, आएं तेरै वैं तब्लीगी-जमात आळयां नैं कोसदी होई की पोस्ट भी कीमें काम ना कर री ए आपणी पहलवान बाहण-भाई-बैणोंईयां ताहिं न्याय दुवाण म्ह ए बेबे? जिंदगी का सिद्धांत तो थम (हरयाणवी में 'थम' सिंगल 'तू' व् सिंगल के लिए आदर स्वरूप 'आप' दोनों के लिए प्रयोग होता है; आड़े 'आप' आळा थम सै बेबे) उसे दिन भटक गई थी बेबे, जय्ब "दंगल" बरगी मूवी बणा थमनें वर्ल्ड-फेमस करणीए की जमात बाबत उल्ट-सुलट लिखी|
पर गलती आपणे समाज की भी सै उरै; जो हर पहलवान को अपनी "खाप-खेड़े-खेत की किनशिप" ट्रांसफर करने का कोई रिवाज ना बना राख्या; नहीं तो थम भी कित इन सर छोटूराम की टर्म आळे फंडियां के हाथां न्यू खिलौना बनती ए!
याहे कहाणी आदरणीय गवर्नर सत्यपाल मलिक जी गेल बनी; बावजूद इन फंडियों को अपनी जिंदगी के 25 साल देने के| पर मलिक साहब तो इब उस राह पै आ लिए सें अक सुणां सां के इहसा काम बांधण लाग रे सें अक फंडी रोवेंगे उनका अपमान करण के पल नैं| अर खाप-खेड़े-खेत का सर्वसमाज उनकी गेल सै; अर गेल तो थारै भी सां बेबे|
हालाँकि ये हैके टळ सकें थे या थम इन्नें ज्वाइन ना करदी तो होंदे ए ना; पर फेर भी थारे पै इस ऊपर लिखे मलाल की गेल गर्व घणा से बेबे| गर्व न्यू सै अक थम बख्त रहते इन्नें समझ गई सो; अर जंतर-मंतर पर धरणा देणे आळे आपणे पहलवानां गेल गीता बेबे थम तो घाट-तैं-घाट लीक्ड कैं चाली| बबीता भी देखो वारी-सवेरी लिकड़ आवै तो इनमें तैं|
बाकी बेबे, म्हारे बरगयां कै दर्द तो भोत सै, पर हम भी लाग रे सां काम पै; इन सारी समस्याओं की जड़ म्हारी किनशिप नैं खड्या करने पै|
जुग-जुग जियो म्हारी भाण!
जय यौधेय! - फूल मलिक
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