Tuesday, 2 May 2023

जंतर-मंतर पर पहलवान बनाम बृजभूषण जो धरना है; इसका आइडियोलॉजीकल, फिलोसॉफीकल अंतर क्या है?

 1 - यह सामंती वर्णवाद बनाम उदारवादी खापवाद की लड़ाई है| 

2 - यह स्वर्ण-शूद्र बनाम सीरी-साझी कल्चर की लड़ाई है| 

3 - यह अधिनायकवाद बनाम लोकतान्त्रिक-गणतांत्रिक खेड़ावाद है|

4 - यह अनैतिक पूंजीवाद बनाम नैतिक पूंजीवाद है| 

5 - यह orthodox बनाम protestant मसला है|

6 - यह मूर्तिपूजक बनाम निराकार पुरखपूजक लड़ाई है| 

7 - यह बहमवाद बनाम यथार्थवाद लड़ाई है| 


निचोड़ यह है कि यह जितने भी "खाप-खेड़ा-खेत" थ्योरी से आने वाले लोग, इन सामंतियों वर्णवादियों के कल्चरल-स्पिरिचुअल स्तर पर भी गलबहियां हुए पड़े हैं; यह अपना इंटेल्लेक्ट ही नहीं पहचानते| प्रोफेशनल-पावर पोलिटिकल फ्रंट पे इनसे मिलके काम करना, अलायन्स करना समझ आता है; परन्तु जब तक अपने कल्चरल-स्पिरिचुअल फ्रंट को समझ के इसपे अपना स्वछंद स्टैंड नहीं रखेंगे; यूँ ही इनके जवान-किसान-पहलवान-मजदूर-कर्मचारी-व्यापारी सब परेशान रहेगा| 


जय यौधेय! - फूल मलिक 

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