हे री रोवै मत ना भाहण म्येरी, आज त्यरे हिमाती आगे,
और सुण कैं बात त्यरी खेत म्ह, छोड़ दरांती आगे!
सारी बात सहन कर ल्यूं, तेरे आसूँ हों बरदास नहीं,
जब तक बदला ना ले ल्यूं, मनैं सुख के आवैं सांस नहीं!
हे धर ली ज्यान हथेळी पै अब, जीणा होता रास नहीं,
मरते तक ज्यान चली ज्या, पर देखूं तुझै उदास नहीं!!
अभी जिन्दा हूँ मैं लाश नहीं, हम बण कैं हाथी आगे!
हे री रोवै मत ना भाहण म्येरी, आज त्यरे हिमाती आगे,
और सुण कैं बात त्यरी खेत म्ह, छोड़ दरांती आगे!
बापू आळे भाहण तेरे मैं, करकै लाड दिखा द्यूंगा,
दुनियां देख दंग हो ज्या ऐसी, करकें राड़ दिखा द्यूंगा!
बृजभूषण की त्यरे चरणों म्ह, झुकती नाड दिखा द्यूंगा,
गर ऐसा ना हुआ तो, उसके बिखरे हाड़ दिखा द्यूंगा!!
इन्नें करकै रॉड दिखा द्यूंगा, होये मन की काढ़ दिखा द्यूंगा; हम सच्चे साथी आगे!
हे री रोवै मत ना भाहण म्येरी, आज त्यरे हिमाती आगे,
और सुण कैं बात त्यरी खेत म्ह, छोड़ दरांती आगे!
रागनी रचयिता व् गायक: चौधरी महेंद्र सिंह, मोहिददीनपुर उत्तर प्रदेश
No comments:
Post a Comment