Saturday 10 June 2023

सरजोड़ के संकट से जूझते खाप चौधरी!

 जितने भी खाप-चौधरी बीजेपी-आरएसएस में हैं; इन्हें देख ऐसा अहसास आता है कि जैसे अंग्रेज, राजाओं-नवाबों को पेंशन दे के साइड में बिठा के उनकी सत्ता-राज्य का सारा कण्ट्रोल अपने हाथ में ले लेते थे; ऐसे ही इन चौधरियों की चौधर अपने हाथ ले, इनकी खापों में कोई वैसा कार्य होने ही नहीं दिया जा रहा; जिनके लिए इन चौधरियों के दादे-पड़दादे समाज में जाने गए| और इस संकट की सबसे बड़ी बानगी है पहलवान बेटियों का मसला| बहु-बेटी व् पगड़ी की इज्जत खाप-सिस्टम के लिए वह बॉर्डर लाइन रही है कि जिसके क्रॉस होने पे यही खापें, रियासतों-की-रियासतें मलियामेट करने के लिए जानी गई| बेटी की इज्जत क्रॉस होने पे मलियामेट का सबसे बड़ा उदाहरण आता है कलानौर रियासत का| व् पगड़ी की इज्जत उछालने पर मलियामेट करने का सबसे बड़ा उदाहरण आता है लजवाणा काण्ड का, जो कि जिंद रियासत खा गया था, पटियाला रियासत की ताकत जिसने पंगु कर दी थी| 


वह पुरखे ऐसा शायद इसलिए कर पाए, क्योंकि वह थे कि ब्रह्म-विष्णु-महेश में महेश हम ही हैं; वही महेश जिसका काम होता है ब्रह्मा व् विष्णु के बिगाड़े हुए हो को आर्डर में लाना| इसीलिए तो खापलैंड पे आध्यात्म के नाम पर सबसे ज्यादा या तो दादा खेड़े पाए गए या पाए गए शिवाले| शायद खाप वाले यह भूल गए हैं कि ब्रह्मा-विष्णु-महेश तीनों का 33.33% बुद्धि का हिस्सा जोड़ के ही 100% त्रिमूर्ति का कांसेप्ट बनाया गया है| अगर इसमें सारी बुद्धि एक में ही होती समाज-धर्म को चलाने की तो यह त्रिमूर्ति ना होती| संदेश साफ़ है कि जब त्रिमूर्ति बनाने वाले ने खुद इसमें तीन रखे; व् ना ब्रह्मा को 100% माना, ना विष्णु को व् ना शिवजी को| और आज जो धर्म के मिथ्या व् गैर-जरूरी प्रचार के चलते जो धर्म के नाम पर भीरु बनने का संकट आन खड़ा हुआ है; जिससे शायद बीजेपी-आरएसएस में गए चौधरियों को कोई फंडी कान में फूक रहा होगा कि तुम मत भड़कना वरना धर्म की हानि हो जाएगी; तो ऐसे चौधरी समझ लें कि यह धर्म की हानि नहीं अपितु इस त्रिमूर्ति में एक तुम यानि महेश को, चुप बैठा के महेश की बुद्धि का हिस्सा भी बाकी दो को चढ़ाया जा रहा है| व् आप यह सब जाने-अनजाने में होते देख रहे हो| क्या किसी जांबवंत को बुला के लाएं थारी शक्तियां तुम्हें याद दिलाने के लिए? जरूरत हो तो बता दो, करें कुछ कोशिश? 


वरना क्यों नहीं टीवी-सोशल मीडिया से ले प्रिंट मीडिया हर जगह जब यह देख रहे हो कि बृजभूषण कैसे पहलवान गवाहों को तोड़-तुड़वा रहा है तो क्या आप स्वत: संज्ञान नहीं ले सकते इन खबरों का? क्या आपको आभाष नहीं हो रहा कि यह होता रहा व् अंत तक हो गया तो इसके बाद यह समाज बेटियों-बहुओं के लिए कितना असुरक्षित हो जायेगा? या फिर हाथ ही खड़े कर दो कि हम से नहीं हो रहा; तो समाज कोई और रास्ता देख ले? अन्यथा तो यूँ चल के तो आप लोग अपने पुरखों की आन में बट्टा ना लगवा बैठो? बट्टा, इस खापलैंड पे आज तक जो नहीं था वह शुरू होने का, क्या शुरू होने का; देवदासी, विधवा विवाह निषेध व् आश्रमों में भेजना शुरू, प्रथमव्या व्रजसला स्त्री का धार्मिक शुद्धिकरण के नाम पर गैंगरेप व् सति प्रथा? यह सब क्रेडिट है आपके पुरखों के नाम; व् आप अब इस मुहाने पे आन खड़े हो| या तो शिवजी के अपने रूप में आ के ब्रह्मा-विष्णु की फैलाई सामाजिक अव्यवस्था को सरजोड़ के ठीक कर लो; वरना बट्टा लगवाने को तैयार रहो| 


कॉपी की हुई पोस्ट|   

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