aish.com यानि aish-ha-torah यानि orthodox yahudiyon (ऑर्थोडॉक्स यहूदियों) की इजरायली वेबसाइट पर "When Jews Found Refuge in the Sikh Empire" इस शीर्षक का लेख सितंबर 3, 2023 यानि निज्जर हत्यकांड के मसले के बीच, G20 से एक हफ्ता पहले छपती है (लिंक इस नोट के नीचे दिया है) तो इसके भी मायने क्यों न जोड़ के देखे जाएं, "कनाडा द्वारा इंडिया पर निज्जर की हत्या" के आरोप लगाने में?
हमने चाहे 9 जनवरी 2015 को यूनियनिस्ट मिशन शुरु किया हो या फिर 5 अप्रैल 2020 को इसकी किनशिप आर्गेनाइजेशन उज़मा बैठक; यह विचार हमेशा से इन दोनों की बुनियाद में रहा कि सर छोटूराम ने जो लन्दन से रिश्ते कायम किये थे, वह किसान बिरादरी जब तक फिर से बहाल नहीं करेगी; फंडियों के हाथों पिटती रहेगी; बेइज्जत होती रहेगी| आज जब यह लेख aish.com पर देखा तो अहसास हुआ कि सिखों ने 1984 के बाद झक्क नहीं मारी हैं अपितु वहां तक पहुँच गए हैं, जहाँ से हो के लंदन के फैसले पूरी दुनिया में फैलते हैं|
यह जैसे भी हुआ है, यह किसान जगत की बहुत बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत है| अब फंडियों द्वारा सिखों को हराना कोई हंसी-खेल नहीं| संकेत साफ़ है कि फंडी कितना ही इजराइल का गुणगान करते रहें; सिख वहां भी अपनी राह बना चुके हैं|
विशेष: यह विश्लेषण, वर्तमान में कनाडा-इंडिया में चल रही रार से बिलकुल अलग नजरिये से देखा जाए; हाँ लेखक यह जरूर देख रहा है कि इजराइल व् सिखों के रिश्ते ऐसे लेखों के जरिये कितने पनप रहे हैं|
जय यौधेय! - फूल मलिक
Source: https://aish.com/when-jews-found-refuge-in-the-sikh-empire/
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