Friday, 6 October 2023

मनोवैज्ञानिक युद्ध कैसे जीतते हैं फंडी एशियन-गेम्स 2023 के नतीजे इसकी बानगी हैं!

इस बार एशियन-गेम्स में कुश्ती में 18 खिलाडी गए हैं, 6 महिला व् 6 पुरुष ग्रीको रोमन में व् 6 पुरुष फ्री-स्टाइल में| पिछले वर्षों में जहाँ 18 में से न्यूनतम 10 से ऊपर मेडल आने का ट्रेंड चला हुआ था; वह इस बार बुरी तरह धराशायी होता दिख रहा है| 12 खिलाडी पूरा खेल चुके, सिर्फ 2 मेडल्स मिले हैं वह भी ब्रॉन्ज़| ग्रीको पुरुष के नतीजे आज आ जायेंगे, उसमें भी टॉप स्टार बजरंग का प्रदर्शन देखते हुए 1-2 ब्रॉन्ज़ ही और आता दिख रहा है; गोल्ड-सिल्वर शायद ही आए अबकी बार कुश्ती में| 


यही हाल बॉक्सिंग का बॉक्सिंग पुरुष में 7 में से सिर्फ 1 मेडल आया है| महिलाओं में फिर भी 4 आए हैं, परन्तु गोल्ड एक भी नहीं| 


इंडिया में खिलाडियों पर यूँ सामूहिक साइकोलॉजिकल गेम्स भी खेले जाते हैं; यह समझ इन खिलाडियों के कल्चर-किनशिप वालों को अब तो समझनी होगी; असल तो सुशील कुमार बनाम नरसिंह जाधव वाले रियो ओलंपिक्स वाले एपिसोड से ही समझ लेनी चाहिए थी; 7 साल हो गए उस घटना को भी| समझना होगा कि इंडिया में फंडी सिस्टम जब तक जिन्दा है, तब तक आपके बच्चे सिर्फ एकल मेहनत व् पारिवारिक सपोर्ट से ही मेडल नहीं ला सकते; उनको फंडियों के साइकोलॉजिकल वॉर गेम से बचाने हेतु, समाज के कल्चर-किनशिप वालों की भी मजबूत सरजोड़ लॉबी होनी चाहिए| 


जनवरी में जब पहलवान आंदोलन पड़ा, मुझे तो उसी वक्त से संशय हो गया था| 


आगे, ऐसा ना हो; इसके लिए खाप-खेड़ा-खेत कल्चर-किनशिप वालों को आंतरिक तौर पर सरजोड़ने सीखने व् अपने ऐसे बच्चों जो जब इंटरनेशनल स्तर के खिलाडी-टेक्नोक्रैट्स-पॉलिटिशियन आदि बनने लगते हैं तो उसी वक्त से उनका मानसिक कवर बनना शुरू करना होगा| 


उज़मा बैठक जैसा ग्रुप इस जरूरत को भली-भांति समझे हुए तो है व् प्रयासरत भी है कि समाज में सरजोड़ कल्चर वापिस आये; परन्तु व्यापाक स्तर पर इसका फैलाव कब तक होगा, अभी दूर की कौड़ी है; परन्तु प्रयास जारी रहेंगे|  


बाकी अबकी बार एथेलटिक्स में अच्छा प्रदर्शन चल रहा है, खापलैंड के बच्चे अबकी बार बेहतर रिजल्ट्स दिए हैं; परन्तु कब तक? इन पर भी फंडी की काली नजर साथ-की-साथ पड़ चुकी होगी व् खापलैंड वालों की "मनोवैज्ञानिक वॉर गेम्स" को टैकल करने की कोई "सरजोड़ लॉबी" अभी तक भी नहीं बनने की अवस्था में; एथलेटिक्स वाले भी कब फंडियों के मानसिक गेम का शिकार हो जायेंगे; कोई कुछ नहीं जानता| 


जय यौधेय! - फूल मलिक 

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