खापलैंड की साझी किनशिप के ‘गाम-गौत-गुहांड मानदंड’ के 7 आयामी (7D) अद्वितीय लाभ:
7 Dimensional (7D) Unique benefits of ‘Gaam-Gaut-Guhaand Norm’ of Shared Kinship of Khapland:
आजकल उज़मा बैठक द्वारा प्रायोजित कात्यक-न्हाण-खापरते चले हुए हैं, कल ही बैठक ने पाँचवा खापरता मनाया; जिसकी Literature and Folklores Concert Series 2023 के तहत शोध-विषय था, "खापलैंड किन अनोखी वजहों से जानी गई"| इसके तहत "7 Dimensional (7D) Unique benefits of ‘Gaam-Gaut-Guhaand Norm’ of Shared Kinship of Khapland" के शीर्षक से फूल मलिक व् धीरेन्द्र डांगी द्वारा एक शोध प्रस्तुत किया गया| इस रिसर्च के तथ्यों ने वह खजाना बताया जिससे जवाब मिला एक ऐसी उत्सुकता का जिसको ले के बड़े-बड़े साहित्यविद व् दर्शनशास्त्री कयास ही लगाते दीखते हैं| कयास कि ऐसा क्या था कि किसान आंदोलन के दौरान 28 जनवरी 2021 को ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पुलिस एक्शन होता है चौधरी राकेश टिकैत जी के धरने पे परन्तु दहल ऊठती है पूरी खापलैंड व् मिसललैंड| कुछ इस अंदाज में दहली कि जैसे किसी ने मकड़जाल के किसी एक तार को हिलाया हो व् सारा मकड़जाल सनसना उठा? रातों-रात ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर लाखों की भीड़ उमड़ पड़ी, धुर हिसार-सिरसा से ले कर अलवर-भरतपुर, मुज़फ्फरनगर-लखीमपुर से ले पूरे पंजाब तक? व् कुछ यही बानगी मई 2023 के पहलवान बेटियों के आंदोलन की रही; उन्होंने एक कॉल दी व् पूरी खापलैंड व् मिसललैंड के लोगों के जंतर-मंत्र पर दौरे शुरू हो गए|
शोधकर्ताओं ने इसकी जड़ें जोड़ के दिखाई खापलैंड की एक अनूठी परम्परा से, जिसको कि "गाम-गौत-गुहांड" कहते हैं| एक इस परम्परा की वजह से जो 7 D थ्योरी प्रस्तुत की गई, उससे सभी श्रोतागण सहमत व् गदगद थे| आपने अक्सर यह तो सुना ही है कि जेनेटिक-डिसऑर्डर न हो जाए इसलिए दूर ब्याह गाम-गुहांड से दूर ब्याह करते हैं| परन्तु इसके अतिरिक्त भी बहुत सारे फायदे हैं जो अक्सर सिर्फ इस एक जेनेटिक-डिसऑर्डर वाले तर्क में या तो दब के रह जाते हैं या दार्शनिक नजरिए से विरले ही विचारे जाते हैं| विभिन्न साक्षात्कारों से निकल कर आया है कि जिनके ब्याह या उनकी अन्य रिश्तेदारियां न्यूनतम 40-50 किलोमीटर दूर हो रखे हैं, उनके बच्चों का ‘Cultural Exchange Index' बाकियों से काफी बेहतर होता है| दूर रिश्ते होने से सिर्फ विभिन्न गोतों की ब्लड-लाइन्स ही नहीं जुड़ती वरन उनसे जो आपसी सामुदायिक गठजोड़ व् भाई-बिरादरी की भावुकता जुड़ती है, वह पूरे क्षेत्र को वह अतिरिक्त नैतिक बल देती है; जो पुरख-किनशिप का एक मकड़जाल उत्तपन्न करता है| ऐसा मकड़जाल कि ऊपर बताए उदाहरण की भांति एक ग़ाज़ीपुर बॉर्डर हिले तो करंट पूरी खापलैंड व् मिसललैंड में जाता है| तो ज्यादा देर ना करते हुए, आईए जानते हैं इस 7D-थ्योरी के 7 D के बारे में:
- DNA (Diaspora): जेनेटिकल-डिसऑर्डर से बचने वाले ऐतिहासिक कारण के साथ-साथ वृहद क्षेत्र तक वंश-फैलाव की अनुभूति से अपने कल्चर के प्रति जरूरी स्वाभिमान व् गर्व विकसित होता है|
- Dialect: बच्चे भाषाई अंतर्, भाषा के लहजे, बोलियों के शब्द व् लहजे बिना किसी खर्चे व् कोशिश के सीख जाते हैं| उदाहरणार्थ: कोई सोनीपत के किसी गाम में बसता है, उसका ब्याह हो रखा हो भिवानी किसी गाम में, नानका हो जींद किसी गाम में, दादका हो बागपत किसी गाम में, बहन-बेटियां-बुआ ब्याह रखी हों करनाल-शामली-कैथल-रोहतक-दादरी कहीं| और यह इतना वंश-फैलाव सिर्फ एक गाम-गौत-गुहांड नियम की वजह से| तो समझने वाली बात है कि इतने भर से उसको हरयाणवी भाषा की खादर-खड़ी बोली-बांगरू-बागड़ी-देसाळी बोलियां तो रिश्तेदारियों में बचपन से घूमते-फिरते ही कंठस्थ हो जाती हैं| उनके लहजे सीख जाता है, भाव-भंगिमा सीख जाता है| यह रिश्तेदारियों के क्षेत्र-फैलाव के फायदों का उदाहरण नीचे के D में भी समरूपता से लागू करते हुए, इनको समझें|
- Diet: दादके-नानके समेत बुआ-बहन-दादी बुआ के यहाँ के खानपान की भिन्नताओं बारे बच्चे बिना किसी विशेष प्रयास के ही जान जाते हैं|
- Dress: विभिन्न प्रकार के पहनावे, पहनावों के अंतर् उनकी आँखों के आगे होते लेन-देन से देख-समझ जाते हैं| जो नहीं समझ आता तो पूछने या बताने के जरिए सहजता से सीखने को मिल जाता है|
- Dwelling: घर-मकान-हवेलियों के प्रकार, गली-बगड़-चौराहे, घेर-गितवाड़, दरवाजे-बैठक-नोहरे, परस-चौपाल-थ्याई, खेतों में बने कोठड़े-चौबारे-झोंपड़ी आदि की वास्तुकला, इनके इस्तेमाल बारे सीखते हैं व् हर तरफ की रिश्तेदारी की इन चीजों की सटीक तुलना भी करने में सक्षम हो जाते हैं|
- Dance (songs & folks): उदाहरणार्थ ब्रज में जाओ तो लूर, रसिया; बागड़ में आओ तो बागड़ का घूमर, बांगर-देसाळी का धमाल, देसाळी-खादर का खोड़िया; यदि इन क्षेत्रों में ब्याह हो रखे हों तो बच्चे दोनों तरफ के नाच-गाने सब खेल-खेल में सीख जाते हैं| ऐसे ही इनके गीत, लोकगीत, रागनियां आदि की सुरताल व् लहजे एक न्यूनतम जायज समझ बनती जाती है|
- Devotion: रिश्तों में आपसी समर्पण व् आदर ज्यादा रहता है| व् इससे भाईचारे की भावना बलवती होती है| वह भावना व् जुड़ाव होता है जो कि ऊपर दिए गए दो किसान आंदोलन व् पहलवान आंदोलन वाले उदाहरणों में उमड़े जनसैलाब के पीछे के दार्शनिक शास्त्र को बड़ी सहजता से समझा जाता है| और यही भावना व् विश्वास कहीं न कहीं पूर्णत: ना सही परन्तु आंशिक तौर पर जरूर इस धरती के लोगों का बेल्ट की नौकरियों (पुलिस-फ़ौज) से ख़ास लगाव व् आत्मविश्वास बढ़ाती है|
जय यौधेय! - फूल मलिक
No comments:
Post a Comment