Wednesday, 27 December 2023

बाकी उरै-परै की छोड़, अगर सिखी ना होती तो

 बाकी उरै-परै की छोड़, अगर सिखी ना होती तो किसान आंदोलन भी नहीं होता! हमारे वाले फंडियों से लड़ पाए क्योंकि सिखी पहले चढ़ के साथ आई| अकेले से आपसे 11 महीने चला पहलवान बेटियों का मसला हल ना हुआ; शुक्र मनाओ कि लोकसभा चुनाव सर पर हैं तो वोटों के डर से कुश्ती संघ ससपेंड कर दिया; वरना कौनसे और खून के आँसू चलवाते ये; दूसरों की बेटियों को देवदासियां बनाने की वासना व् हेय नजर रखने वाले, आपको समझ भी ना आती| 


किसी रोंदे-पिटदे आत्महीनता से ग्रस्त गैंडा सिंह का लिखा की अंतिम वाक्य हो जाएगा क्या? ऐसे-ऐसे नौसिखिये लेखक हमारी जूती पे व् ऐसे नौसिखियों की ऑथेंटिसिटी को मानने वाले उनके जैसे नौसिखिए नए-नए गैरअनुभवी विद्वान् बालक ही हो सकते हैं; कोई ऐसा विद्वान् नहीं जो पढ़ा व् कढ़ा दोनों ही हो| यहाँ मेरी इंटरप्रिटेशन यह है कि खुद को आपसे निम्न समझने की inferiority से भरा हुआ व्यक्ति यानि गैंडा सिंह ही आपको ऐसे लिखेगा| इतना पढ़ लिख गए हो और आज तक इतनी समझ नहीं बना पाए हो? इस लाइन पे बढ़ो अगर अभी इसपे कुछ नहीं सीखे हो तो| 


किसी कौम-कल्चर का किसी धर्म-जाति में उत्थान या पतन मापने का पैमाना क्या है तुम्हारा? 

मानसिक स्वछंदता है पैमाना है? - तो सिखी ज्यादा सरल है व् सुगम है| 

आर्थिक स्वछंदता पैमाना है? - तो किसान आंदोलन जो लड़ के अपनी जमीनें बचा ले, इससे बड़ी ताकत व् स्वछंदता और क्या होगी? एक 2019 का कोई सरकारी आंकड़ा उठा के तुम तरक्की दिखा रहे हो? उस रिपोर्ट को क्वोट करने से पहले जानते भी हो कि 60% हरयाणा NCR में आ चुका है? हरयाणा के वह आर्थिक आंकड़े, अकेले कृषि परवारों के नहीं होते, अपितु उन कंपनियों के भी होते हैं, जो 90% हरयाणा से बाहर वालों की हैं? खुद को विद्वान् बोलने लगे हो व् इतनी अक्ल नहीं ली अभी तक? एक जाति के स्तर पर जा के तुलना करने लगे हो या एक धंधे के आधार पर यानि कृषि के आधार पर तुलना करने लगे हो तो सिर्फ उसके आंकड़े देखो निकाल के| वरना हर दूसरा व्यक्ति यही कहेगा कि किसी संघी के हाथों में खेल रहे हो| 

सामाजिक सम्मान पैमाना है? - 35 बनाम 1 के दस-दस साल नफरत व् धुर्वीकरण के कुँए-खाई में कहाँ पड़े झेल रहे हो? 

आपसी सौहार्द पैमाना है? - तो फरवरी 2016 किधर झेले, मुज़फ्फरनगर 2013 किधर रहते हुए इस्तेमाल हुए? 

सोशल सिक्योरिटी? - इसपे भी सिखी को सबसे बढ़िया कहने में कोई हिचक है क्या किसी को? 

100% इस धरती पर कुछ नहीं है, तुम्हें चुनना होता है सबसे ज्यादा अच्छे व् सबसे ज्यादा बुरे में से| तमाम कमियों-खामियों के बाद तुलनात्मक पैमाने पे सिखी में वह बहुत कुछ है, जो वहां कभी हो भी नहीं सकता; जहाँ तुम बैठे हो| 


एक तो तुम्हारी यही समझ नहीं आती कि तुम जहाँ पड़े हो, उनसे भी तकलीफ व् जो इस लीचड़ व्यवस्था से पिंड छुड़ा गए या छुड़ा रहे हैं उनसे भी तकलीफ| तुम्हें यहाँ पड़ा रहना है तो पड़े रो ना; कौन क्या कह रहा है तुम्हें? दो किताबें, दो हर्फ़ क्या ज्यादा सीख लिए; सिखी में नुक्स निकाल रहे हो| इसको कोई ढंग से anthropology व् analogy सिखाओ यार; वरना ज्ञान इसने अर्जित किया है व् उसका इस्तेमाल फंडी करते रहेंगे| 


और मैं ना आज के दिन सिखी में हूँ, ना वहां जाने का हाल-फ़िलहाल कोई ईरादा| जो गए उनको भी सवाल किये थे, वह बिना जवाब दिए गए| परन्तु एक नीतिगत कौम-प्रेमी को चाहिए कि अपनों के खिलाफ खुद ही मोर्चे खोल के ना बैठे, इतना तो उन फंडियों से ही सीख लो, जिनकी तुम गाहे-बगाहे अनजाने में जस्टिफिकेशन करने लगे हुए हो? और मैं वो हूँ जो दिनरात खाप-खेड़ा-खेत पर काम करता है| 


और खुश हूँ जो सिखी में जा रहे हैं उनके लिए व् जो उदारवादी जमींदारी किनशिप को भी खड़ा कर रहे हैं, उनके लिए भी| 


हाँ, एक बात के लिए इस बच्चे को धन्यवाद बोल सकते हो, कि सिखी के "गुरु ग्रंथ साहिब" में अगर कहीं किसी जाति-बिरादरी के लिए कोई छोटा-माडा लिखा हुआ है तो उसको सुधार करवाया जाए| सुधार किसी भी धर्म के बढ़िया होने की निशानी है; जैसे बाईबल में निरंतर सुधार होते रहते हैं| यह तो मैंने इन उधर जाने वालों को शुरू दिन ही कही थी, कि देर-स्वर आपको इन सवालों पर घेरा जाएगा, परन्तु किसी अपने ही नादाँ से घिरवाने की कोशिश होगी, यह हास्यास्पद है| और आप लोग उसके आगे डिफेंसिव हो रहे हो, क्यों किस इज्जत या डर में? इस नादाँ से ही नहीं जिरह जीत पाए तो बाकियों को कैसे convince करोगे?   


जय यौधेय!

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