श्री रामचंद्र जी भी सोचते होंगे कि ये कैसे भक्त हैं मेरे, जिन्होंने पांच सो साल लगा दिए? जबकि इस बीच मेरे इन संघि भक्तों के पूर्वजों (पेशवाओं) का दिल्ली पर राज भी रह लिया! और अब भी इन्होंने ये बनाया भी है तो वोटों के लिए, न कि आस्था के नाम पर। मेरे इन स्वार्थी संघी भक्तों ने पहले बनवाने के नाम पर वोट मांगे और अब 2024 में बनने के नाम पर वोट मांगेंगे!
और एक वो खालसा बाबा बघेल सिंह ढिल्लों था, जिसने मुगलों के हलक में लठ देकर दिल्ली में न सिर्फ गुरुद्वारों के लिए जमीन ली, बल्कि इनके निर्माण के लिए खर्च भी मुगलों से ही लिया। और सिर्फ एक ही नहीं, बल्कि चार गुरद्वारों का निर्माण करवाया। क्योंकि उसकी नीयत सिर्फ आस्था की थी, सियासत की नहीं। जबकि मेरे इन भक्तों को सिर्फ एक मंदिर बनवाने में पांच सो साल लग गए, क्योंकि इनकी नियत सिर्फ सियासत की है!?
By Rakesh Sangwan
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