Wednesday, 27 March 2024

खेड़े के गौत की सूचिता - एक micro-management है पुरखों का; हर समूह को अपने ध्वज का गणराज्य होने का गौरव देने का|

 यानि निडाना खेड़ा है मलिक गौत के जाट का, या गर्ग गौत के बनिया का, या "रंगा" गौत के रविदासी का या "भारद्वाज गौत " के बाह्मण का तो यह इनको इस बात का गौरव लेने-देने के लिए है कि कहीं तुम्हारा खुद का भी नाम है| और यही वजह है कि खापलैंड पे लगभग हर गौत का खेड़ा मिलता ही मिलता है| 


micro-management इसलिए कि आज वाले जहाँ जातीय-समरसता तक रखने में लटोपीन हुए जाते हैं, म्हारे बूढ़े उससे भी एक कदम भीतर यानि जाति के भीतर गौत तक कैसे शांत रख के बसाने हैं; उस तक का सिस्टम बांधे हुए थे| इसीलिए गौत इतना संजीदा विषय रहता है हमारे लिए| आखिर कौन नहीं चाहेगा कि ऐसा सिस्टम हो जिसमें उसको जितना सम्भव हो उतने micro स्तर तक बराबर के मान-सम्मान से देखा-बरता जाए? 


क्या ही मुकाबला करेंगे यह आज तथाकथित एकता-बराबरी लाने के नाम पे जाति तक मिटा देने का राग अलापने वाले| ये म्हारे पुरखे इनके फूफे, जाति तो छोडो, गौत तक की micro-management करते थे व् ख़ुशी-ख़ुशी रहते थे, अपने-अपने खेड़ों में, अपने-अपने गौत के साथ


Jai Yaudheya! - Phool Malik

No comments: