Saturday, 23 March 2024

NRI जाटों को विदेशों में फंडियों यानि आरएसएस से जुड़ने का फंडियों द्वारा इन जाटों को दिया जाने वाला हास्यास्पद तर्क!

कई NRI जाट साथियों से बातें होती हैं तो बताते हैं कि फंडी यानि आरएसएस वाले हमें आ के कहते हैं कि देखो बेशक हमारे-तुम्हारे लाख मतभेद व् मनभेद हैं परन्तु अंत में तुमको ईसाई हों, सिख हों या मुस्लिम; सभी जोड़ के तो हम से ही देखते हैं? जब दंगे होंगे या कुछ भी उल्टा होगा तो तुम भी उतने ही इनके अटैक पे रहोगे, जितने कि हम| इसलिए बेहतर है मिलके साथ रहा जाए| यही NRI जाट साथी इनके ऐसे तर्कों पे हँसते हुए बताते हैं कि यह इतना सब कहेंगे परन्तु 

 इनके साथ रहने के आपसी give and take, जाटों को यह कभी नहीं बताते; बल्कि अपना भय और छुपा जाते हैं, हमें ऐसी बेतुकी बातों के तर्क दे के|


इसपे एक NRI जाट साथी ने तो इनकी इस एप्रोच को ठीक उस ऐतिहासिक कल्चरल चुटकुले से जोड़ के बताया मुझे, जो हम बचपन में बहुत सुनते-सुनाते थे| सुनते-सुनाते थे कि एक बार काली अँधेरी तूफानी रात में दो जाट व् एक बनिया, कहीं से गमिणे हो आने की बाट चलते आ रहे थे| बिजलियाँ कड़क रही थी, कच्चे रास्ते थे, झाड़-बोझड़े गमे के दोनों तरफ; इससे बनिये का हिया व् जिया बैठा जाए| परन्तु उसको अपना भय भी जाटों को नहीं दिखाना था, वरना वो उसको डरपोक बोल के उसकी हंसी उड़ाते| तो बनिए ने कहा, "ऐड भाई, दिखे मैंने तो डर लगता नहीं; हड थमनें लागता हो तो एक मेरे आगे हो लो और एक मेरे पाछै"| 


बल्या, इन्नें तो आडै विदेशों में आ के भी यह बाण नहीं छोड़ी; इनको जाटों का साथ भी चाहिए, परन्तु सच्चाई बता के साथ नहीं लेंगे| ऊपर से सितम यह कि यह यूँ सोचते हैं कि हम जाट, इनके इस डर को पकड़ नहीं पाते हैं| अरे भाई जब इतना ही अपना मानते हो तो फिर "give and take" पे क्यों नहीं एकता करते हो? तुम इंडियन मीडिया द्वारा जाट-खाप-हरयाणा की मीडिया-ट्रायल्स रुकवाने; किसानों को MSP दिलवाने, अग्निवीर हटवा के रेगुलर फ़ौज शैड्यूल लगवाने व् पहलवान बेटियों को न्याय दिलवा दो, बीजेपी-आरएसएस को बोल के; हम बदले में तुम्हें सुरक्षा भी देंगे व् तुम्हें खुद के साथ यह दो जाट व् एक बनिया वाले चुटकुला वाली करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी| 


जय यौधेय! - फूल मलिक   

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