उदाहरण के तौर पर मेरे बड़े भतीजे से शुरू करके, म्हारे गाम को बसाने वाली पहली पीढ़ी तक पहुँचने पर ऐसे 18 पीढ़ियां बनती हैं:
अभिमन्यु सिंह मलिक > मनोज सिंह मलिक > रामेहर सिंह मलिक > दादा फ़तेह सिंह मलिक > दादा लछ्मण सिंह मलिक > दादा शादी सिंह मलिक > दादा गरधाला सिंह मलिक > दादा बख्शा सिंह मलिक > दादा दशोंदा सिंह मलिक > दादा थाम्बू सिंह मलिक > दादा समाकौर सिंह मलिक > दादा डोडा सिंह मलिक > दादा इंद्राज सिंह मलिक > दादा रातास सिंह मलिक > दादा सांजरण सिंह मलिक > दादा करारा सिंह मलिक > दादा रैचंद सिंह मलिक > दादा मंगोल सिंह मलिक
दादा मंगोल सिंह मलिक व् उनके साथ आए उनके सीरी भाई दादा मीला सिंह खटीक, मोखरा, महम चौबीसी से चल सन 1600 में न्यडाणा पर अपना खेड़ा बसाते हैं| उस वक्त जिंद/जींद में 4 रियासतें होती थी, जिनमें एक न्यडाणा/निडाणा थी; जो उस वक्त उज्जड़-खेड़ा था; जिसको फिर से इन दो दादाओं व् इनके साथ आए इनके परवारों ने बसाया था| मोखरा में दादा मंगोल से 4 माणस बिगड़ गए थे; आज भी मोखरा में इनके खंडहर हैं, जिसको निडाणा ढूंग बोला जाता है| दादा मंगोल को हुए दादा रैचंद, दादा रूपचंद व् दादा लाधू| दादा रैचंद ने निडाणा में ही बस के आगे यह गाम बसाया, दादा रूपचंद ने सीम लागता खेलगाम निडाणी में मलिक गौत जा बसाया व् दादा लाधू ने जिंद-रोहतक रोड पे स्थित गतौली में मलिक गौत जा बसाया|
दादा मंगोल के नाम से ही गाम में मंगोल-आळा जोहड़ है| दादा करारा को हुए दादा लखमीर के बेटे दादा बग्गा के नाम से गाम में बग्गा (बागा) आळा जोहड़ है| दादा लाधू के नाम से गाम में लाधू-आळा जोहड़ है|
जय यौधेय! - फूल मलिक
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